इंसान भी पत्थर जैसा ही है। जब तक उसे दूसरों से उम्मीदें होती है । जब उसके मन में आशा होती है उसे भी जब तक ही फर्क पड़ता है वो रोता है , बुरा लगता है । ये सब खत्म होने के बाद इंसान एक पत्थर जैसे हो जाता है ।
ये जिंदगी हमें क्यों मिली है हमें मानव जीवन एक बार क्यों मिलता है अगर आप जानना चाहते है तो पढ़िए पुस्तक ज्ञान गंगा । पुस्तक ऑडर करने किए प्रोफाइल में दिए गए लिंक पे जाए । बिलकुल फ्री है ।
#TrueStory_Of_KarvaChauth संत गरीब दास जी कहते हैं कहे जो करवा चौथ कहानी ,तास गधेहरी निश्चय जानी जो करवा चौथ का व्रत रखते हैं और जो उस व्रत की कहानी सुनाती है स्त्रियों को उनको काल नर्क में और गधे की योनि मैं डालेंग अधिक जानकारी के लिए अवश्य पढ़े पवित्र पुस्तक ज्ञान गंगा