Anshika Pandey  
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Joined 10 September 2018


Joined 10 September 2018
24 JUL 2022 AT 19:17

अशांत से इस मन में चल रही जो बात है
उधेड़ बुन में लगी हुई की तू क्यों इतना उदास है
ना शब्द में ना कागज़ पर खुद को तराश पा रहा
तू खुद से ही ज़माने सा रूठा हुआ क्यूं आज है।।

खामोशियों की बेड़ियों से आज खुद को करले तू जुदा
सुकून की ओर बढ़ ज़रा तू फिर से आज खिलखिला
हर ज़ख्म जो भरा कभी उसे फिर से न कुरेद तू
पा जाएगा अपनी मंजिल कभी यूं खुद को न समेट तू।।

लाखों की भीड़ से अलग तू आज भी कमाल है
है इतना क्यों बेबाक तू ये एक बड़ा सवाल है
नाकामियों को सोच कर ये मन क्यों तेरा हताश है
तू खुद से ही ज़माने सा रूठा हुआ क्यूं आज है।।

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24 JUL 2022 AT 19:11

गेरुआ रंग सा बिखर गए तुम नीले आसमान में मेरे
पनाह दो कुछ देर तो तुझमें ही मै मिल जाऊं।।

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13 JUN 2021 AT 23:33

महादेव

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3 JUN 2020 AT 13:08

राही
(Read in caption)

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23 MAY 2020 AT 22:01

ना काग़ज पे मिली ना किताबों में मिली
वो ख्वाहिश थी मेरी कोरे काग़ज पे मिली थी।

ना पढ़ सका कोई ना पूछा कभी
वो बस मेरे इस मन में बसी थी
वो थी एक प्यारी कली की तरह
वो खिलती हुई बस सपनो में मिली थी
वो ख्वाहिश थी मेरी बस रातों में मिली थी।

कभी चुप थी कभी बेबाकी सी थी
रंगो से भरी पिचकारी सी थी
वो उलझी थी बेड़ियों मे इस कदर
की सुलझी हुई बस ख्वाबों मे मिली थी
वो ख्वाहिश थी मेरी नाज़ों से पली थी।

जहाँ किसी का डर नहीं ना किसी का खौफ
वो काफ़िर थी पर सजदे में सिर झुकाए खड़ी थी
वो ख्वाहिश थी मेरी बस इबादत में मिली थी।

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15 MAY 2020 AT 8:38

Pain is the toughest therapy to bring onself back to life.

Pain enhance your personality and refreshes your soul.

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8 MAY 2020 AT 13:38

बिना किसी मंज़िल के चले जा रहे है
क्या होना है कुछ खबर नहीं बस
छोटी सी है जिंदगी जिये जा रहे हैं।

ना आज का उद्देश्य है ना कल का मुकाम
हम आशाओं की माला पिरोये जा रहे हैं
हर वक़्त खुद को ख्वाबों में भिगोये जा रहे हैं
बस छोटी सी है जिंदगी जिये जा रहे हैं।

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1 MAY 2020 AT 13:54

कभी सोचा नहीं था की आप इतने मशहूर होंगे
हमारे एक रिश्ते में कई रूप होंगे
कभी दोस्त तो कभी मर्ज़ की दवा बन कर
आप हमेशा मेरे लिए खुदा का नूर होंगे

मेरी बेबाकी सी बातों को कभी अंसुना किया नहीं
जब भी पडी कोई मुश्किल आपने साथ कभी छोड़ा नहीं
हर उलझन का जवाब मिल जाए जहां
हर सवाल कि तरकीब मिल जाए जहां
आप फरिश्ते का कोई रूप होंगे
आप हमेशा मेरे लिए खुदा का नूर होंगे

कुछ साल पहले से अपना ये याराना
हमेशा रहा खुशनुमा यूँ ही
हर पल जब भी मै भटकु कदम
आपने दिखाया रास्ता सही
जानती हूँ अब थक गए आप जरूर होंगे
पर जब भी करूँगी कुछ अच्छा कभी
इसकी कहीं तो वजह आप जरूर होंगे।


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1 MAY 2020 AT 13:40

काग़ज की कश्ती को कभी
फिर से तैरते देखा है क्या
बचपन वाले दिन को
फिर गले लगा कर देखा है क्या?

ना समझी मे समझदारी सी थी
शरारतों मे भी एक खुमारी सी थी
वो बैठे किसी फकीर को बाबा
बुलाना याद है क्या, तुम्हे आज भी
बेफिक्र मुस्कुराना याद है क्या?

ना रुकने का जज़्बा और
वो तीखी मुस्कान जब
करे कोई शिकायत या
पकड़े कोई कान इन सब के बाद
वो माँ का सीने से लगाना याद है क्या
तुम्हें पापा की हर डाँट के पीछे
उनका प्यार याद है क्या?

पापा की गोद से दुनिया देख लेना
अपनी बातों मे उन्हे यूँ मोड लेना
फिर माँ के आँचल में छिप जाना याद है क्या
तुम्हे अपने बचपन की कुछ कहानियाँ याद है क्या?

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29 APR 2020 AT 12:04

चाहतों के सफर में चलिए
कुछ दर्द संभाल लेते हैं
कुछ सपने सजा लेते हैं
कुछ अपने गवा देते हैं।

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