Anshika Gupta   (@pल✒)
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Joined 16 October 2017


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Joined 16 October 2017
31 DEC 2023 AT 20:36

कितने आकारों में🤹‍♀
प्रेम विराजमान है
गंगा🌊 मैया के जाल में
प्रेम बहता है,
पापों का नाश हो जाना☄
जग सही कहता है!
धरती मैया 🌱की गोद में
स्नेह 🌼समाया है,
इसी स्नेह से उसने
यह संसार🌾 बनाया है..
राधा के समर्पित अश्रुओं से
यही तो छलकता है!
गर्म🌄धूप जब मुझे
स्पर्श करती तो भी
वह प्रेम ही होता है..🌇
शीतलता🌃भरी छाँव
जो सहलाती है और
बरसाती🌨 बूंदो में भी
यह सकार है..❄
मैंने कब कहा
कि यह कहीं बसता है!
इसका आकार है!🕯
प्रेम तो बस है
यह बस एक भाव है..🌠
यह बस एक भाव है...☘️🌻

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28 OCT 2023 AT 22:40

यह कुदरत मेरी उंगलियों से
न जाने कब गुफ्तगू करके निकल लेती है
और मेरी उंगलियां खु़द ब खु़द
कलम की ओर रुख कर लेती हैं..
मैं कहां कोई कवि हूं!
बस मेरी उंगलियां इस जहां से
आजकल बात कर लेती हैं
जिस संसार से मैं भेद हटाना चाहती हूं
वह संसार खुद मेरे मन में
कविता पिरोने आता हैं..
मैं सिर्फ उसे समझने का
प्रयास करती हूं!
और एक कवि बन जाती हूं
यह संसार ही कविता है
मेरी कल्पना है
मेरी सच्चाई भी और कहानी भी...

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28 OCT 2023 AT 22:23

सुरीला स्वर होता है
जहां संगीत उसका पूरक भी है
ढेरों कलाए आती है पास
अनेकों मस्तिष्क आते हैं साथ
कभी वादयंत्रो से निकल कर
गीत बन जाता है..
तो कभी मध्य का सन्नाटा भी
संगीत का आधार बन जाता है..
मुरझाई हुई सी शक्ले अचानक
खिली खिली नजर आती हैं
अनजानी भाषाओं से प्रेम प्रसंग हो जाता है..
भले ही कुछ क्षण हो
किंतु शाश्वत जीवंतता दे जाता है..🌼

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11 FEB 2023 AT 13:17

"कोरा कागज़ continues... "
***************
A few cycles🛞 more...
Some words more
yet to inked..🪶
No! it's not black
Nor completely 📖filled...
Soon..
when the 'time' Will come,
It will rejuvenate🪺
Leaving behind all phylosophies
And all the worlds🌍
With an empty sheet
And The United Heart
A few cycles more
some words more..🦁

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10 FEB 2023 AT 0:19

Creation always leaves us
with some Choices
& I'm in practice of one of them! 😊

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19 JAN 2023 AT 2:15

my brain is trying to study itself🥴✌
~pल🔬

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4 JAN 2023 AT 17:48

It's existence doesn't exist.🌼

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3 JAN 2023 AT 1:37

पहाड़ हमें क्या देते हैंं?🏔

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3 JAN 2023 AT 1:33

ज़रूरी है बचपन को छूना..

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31 DEC 2022 AT 21:57


Some 'Differences' between
Masculine & feminine
Are very beautiful..🌼

Going into the deep
You'll find a sense of satisfaction..
Thinking of 'these'..
We accept the nature
Of two charges,
The concept of day and night
True and false , bitter-sweet
Land-sky , sound and silence..
Why couldn't we accept us then?
'Monopoles' doesn't exist!

Accepting the art,
Kneeling before the artist
How he Kept all opposites together
in this beautiful earthly frame..

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