गुम हो चुके थे हम यूँही,
खुद की उदासी में कहीं
किसीने आके बड़ी शिद्दत से कहा, अब और नहीं !
-©Anshi🥀-
तेरे रूह तक पहुँचने की ख़्वाहिश में,
खुद को हार गए हम इस आजमाईश में!
तेरी आस लगाए बैठे थे कि वक़्त गुजरता चला गया,
कमबख़्त तू इन हाथों से रेत बनकर फिसलता चला गया
सोचा था कि काट देंगे ये ज़िन्दगी तेरी यादों के सहारे,
उफ्फ़ ये तेरी यादों का बोझ तो बढ़ता ही चला गया..!-
जग से हार कर दिल,
अपनों के पास जाना चाहता है
अपनों से हार कर मन किधर जाए..!-
वो साथ ही क्या जो पल भर का हो,
सफर ये लम्बा तय करना है
तुझे पाने की तलब किसे है,
हमें तो ये इश्क़ मुकम्मल करना है!-
उस चाँद के दीदार का क्या कहे
जो निकला ही नहीं,
सब ईदी देकर चले गए
और वो बरसो से दिखा ही नहीं!-
कभी सवाल बनकर,
कभी ख़याल बनकर
अभी ज़िन्दा है मुझमे
तू मेरा ख़्वाब बनकर!
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मुझसे दूरियाँ इतनी बढा ली उसने,
की उसे ग़म ही नहीं होता
अब कौन समझाए उसे ये कि
राह में मिलने वाला हर कोई हमदम नहीं होता..!-
शाम सी उदास इस मन में,
प्यार का कोई दीपक तो जले.!
तेरे पास ही ठहर गया है मन,
इसे कोई नया मोड़ तो मिले..!-
कभी सिखाओ हमें भी भूल जाने का हुनर
की तेरी याद में बीते हैं न जाने कितने पहर..!-