दर्शक बने रहना आसान नहीं होता खासकर तब जब आपके पास खुद कुछ करने को नहीं होता ओर् आस पास के लोग बहुत ही अच्छा अभिनय कर रहे हो
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वो सख्श क्या जो लुप्त हुआ बिन महफ़िल को पता चले!
वो अक्स क्या जो खुद की होके खुद की ढाल ना आंक सके!
वो लफ्ज़ क्या जो निकले मुँह से हर बार बदलाव सहे!
वो सत्य क्या जो बिन बोले दुन्ध्रों को ना मात ढले!
वो पक्षी क्या जो पक्षी होके आसमाँ को ना लाघ सके!
वो कण केसा जो कण होके भूधर को ना रौंद सके!
वो मानुष क्या जो मानुष होके अपने पश्चताप की मार सहे!-
खुद्दारियाँ
वो वक़्त एसे गुजर गया!
यकीन था जो अब मुकर गया!!
किताब खुली तो पता लगा!
इस कहानी मैं सब बिखर गया!!
चल रहा हूँ रास्तो पर!
पर वो मुक़ाम किधर गया!!
आँख खोली तब पता लगा!
इक ख़ाब था जो बिछड़ गया!!
घर बनाने जिसको दिया था!
खण्डहर बनाकर निकल गया!!
अंजाने से भाव थे और!
वो अनजाना सा ख़ाब था!!
इक जगह जिसको दी थी वहां!
वो शख्स अब तो बदल गया!!-
_________________पाप_____________________
मैं श्रेष्ठ नहीं हूँ राम जेसा!
पर मैं भद्र नहीं रावन जेसा!!
कलयुग मैं जन्म लिया मैंने !
सतयुग सा राग कहा एसा!!
तू मुझको पाएगा खुद मैं!
जब ज्ञान हो तेरा शून्य जेसा!!
मैं रग मैं समा हर कोई के!!
बस फरक दिखावे मैं रहता!!
तू खुदको बदलेगा मुझसे!!
जब अन्तर्जाल मैं फस जाएगा!
मैं कृष्ण से भले भाँति परिचित!!
पर तू कंस मैं मुझको पाएगा!
तेरा भेद बनाऊँगा खुद मैं!
कब तक तू मुझसे रज पाएगा!!-
When loneliness becomes your lover, you don’t need any other cover,
you nuzzle your hair in its lonely chest,
you know you’re not at your best,
but you surrender because loneliness becomes your lover, you see people who love you, you meet the people you love, Friends and family begin to take refuge but you don’t hover,
because loneliness becomes your lover.-
तुझसे है चाहत तू ख़ाब जिन्दगी!
तेरा हो जाऊँ क्या अब नाकाम जिन्दगी!
हसीन होकर भी हसीन ना लगे ये ज़िंदगी!
ढूँढता हूँ तूजे हर रोज जिन्दगी!
तू मिल जा कहीं ऐ बेख़बर ज़िंदगी!
तूफ़ानों का घराना और मोजों की जिन्दगी!
मैं तुझसे हूँ तू मुझसे है मेरी जिन्दगी!
मेरी कमियों मैं तुझे ढूँढता हूँ मैं ज़िंदगी!
तेरा कोई आशियाँ नहीं क्या मेरी जिन्दगी!
कबतक रहूँ सफर मैं ये तो बतला जिन्दगी!
मेरे सवालों का जवाब कब देगी तू जिन्दगी!
मौत है जिन्दगी मौत से है जिन्दगी!
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----(कहानी) ----
खुद से भागा सबके के आगे!
ढूंढूं खुदको खुद के आगे!
कोन है मांगे मुझसे मुझको!
सब बतलाते अपनी कहानी!
मेरा क्या है मुझसे क्या है!
कोन मेरे दरिया का पानी!
दिल मैं हीर है मेरे लेकिन!
दिखती सबको बंजर भूमि
उसको पाऊँ खुदको खोके!
या ख़ुद से ही खुद मर जाऊँ!
नहीं रहेगी इस जग मैं दौलत!
फिर भागोगे किसके पीछे!
सपने बुनते रोज जो साथी!
क्या उनको पता तेरी कहानी!
खुद का राजा खुद की सेना!
फिर क्यूँ करता कोई और हुकूमत!-
तेरी चाह से मैं भरना जाऊँ कहीं!
तू दूर गया तो मरना जाऊँ कहीं!!
मेरा इश्क मुक्कमल तुझसे है!
तेरा इश्क़ समा रहना जाऊँ कहीं!!
तुझसे मैं तुझमें मेरा रब बसता !
तेरा कर्जदार होना जाऊँ कहीं!!
तेरी खुशियाँ बटोरने की जिम्मेदारी मुझपर!
मेरा ग़म तुझ पर भारी होना जाए कहीँ!!
तेरी चाह से मैं भरना जाऊँ कहीं!
तू दूर गया तो मरना जाऊँ कहीं!!
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-𝕸𝖀𝕶𝖀𝕽-
उसकी खुशी मैं खुदको देखता हूँ!
हर दुआ उसके नाम किया करता हूँ!!
मैं उसकी चाहत हूँ या इश्क़!
उसके जज्बातों का कहा पता चलता है!!
आंखों से जो ये हुआ है इश्क!
वो आजकल मेरी रूह मैं समाया करता है!!
ग़म मेरे उसकी एक आहट से बिखर जाते है!
उससे पता चलता है!
आजकल भी इश्क हुआ करता है!!
आजकल भी इश्क हुआ करता है!!
रिश्ते की जरूरत नहीं मुझे उसके!
रिश्ते की जरूरत नहीं मुझे उसके!
उसके ख्वाबों मैं मुझे जन्नत मिला करती है!!
आईना है वो मेरा मेरी तरह टूटा हुआ!
शायद इसलिए उससे हर पल मोहब्बत गुना करती है!!
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