Ansh Rajora   (फकीरा)
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Joined 8 March 2017


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8 JAN 2022 AT 10:29

मेरे बस में नहीं तूफ़ान मेरा
मेरे हाथों हुआ नुकसान मेरा

मैं दिल की बातों में नहीं आ सकूँगा
दिमाग़ ने रख रखा है ध्यान मेरा

हज़ारों ख़ुदकुशी पर शेर कह दूं
मगर मरना कहाँ आसान मेरा

बड़ा टेढ़ा चला हूँ ज़िन्दगी पे
कटेगा जल्द ही चालान मेरा

मैं मरते दम दुआएँ दे रहा था
खड़ा क़ातिल बड़ा हैरान मेरा

"फकीरा" ये कमाल उसका है सारा
न ग़ज़लें मेरी न दीवान मेरा

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31 DEC 2021 AT 14:24

इक तरफ माँ बाप हैं और इक तरफ तुम, बीच "मैं"
मेरी सोचो मुझको रस्सी पे बराबर चलना है

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21 OCT 2021 AT 9:27

आज फिर उससे वो बात हो न सकी
मेरी ख़ुद से मुलाकात हो न सकी

इश्क़ सारे तजर्बों से बढ़कर रहा
इससे ऊपर मेरी ज़ात हो न सकी

की तरक्की बड़ी आदमी ने मगर
आप जैसी करामात हो न सकी

बाज़ियाँ बादशाहत लगाती रही
तेरे बन्दे की शय मात हो न सकी

आप के ज़िक्र बिन जो ग़ज़ल कोई हो
ये फकीरा की औकात हो न सकी

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24 SEP 2021 AT 16:53

क्या बताएं किस कदर ख़ुद को संभाला साईंयां
कोयले की खान से हीरा निकाला साईंयां

ये तजर्बा है मेरा मैं और बेहतर हो गया
मुश्किलों में आपने जब जब भी डाला साईंयां

चित गिरे या पट गिरे आख़िर है मर्ज़ी आपकी
कर्म मेरा है सो बस सिक्का उछाला साईंयां

आप सब में हो वो बाहर ढूँढते हैं और क्या
अक्ल पे सबकी पड़ा ये कैसा ताला साईंयां

तारीफें करते नहीं थकता फकीरा आपकी
है सिखाने का भी क्या अंदाज़ आला साईंयां

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21 AUG 2021 AT 12:41

जिसे शायर यहां सब दाद कहते हैं,
तेरे बन्दे तेरी *इम्दाद कहते हैं.
*मदद, help

अरे ऐसे जो ख़ुद से इश्क़ नइं करते,
इन्हीं को इश्क़ में बर्बाद कहते हैं.

बना जब पेड़ पौधे को तजर्बा हुआ,
बड़ों के डाँटने को खाद कहते हैं.

हमें कुछ सीखने की भूख ऐसी है,
हम अपने ग़म को भी उस्ताद कहते हैं.

क़फ़स है जिस्म रूह से पूछकर देखो,
परिंदे ख़ुद को क्यूँ आज़ाद कहते हैं

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3 AUG 2021 AT 13:52

और बाकी दुनिया में सब कागज़ी है
ख़ूबसूरत एक आख़िर सादगी है

दो ही चीज़ें दुनिया को बचा सकती हैं दोस्त
इक मुहब्बत और दूजी दोस्ती है

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31 JUL 2021 AT 19:30

चोर किसी घर जैसे दाखिल होता है,
ऐसे ही वो मुझ में शामिल होता है.

जाने कितनी रातें माँ कुर्बान करे
तब जाकर इक बच्चा *कामिल होता है
*Complete

मीठे फल छाया लकड़ी सब देता है,
आख़िर उस पेड़ को क्या हासिल होता है.

बस भी कर अब कितना झगडेगा उससे,
ज़्यादा ग़ुस्सा प्यार का क़ातिल होता है.

मेरी ख़ातिर मुझ से भी लड़ जाता है वो,
उसका ग़ुस्सा प्यार के क़ाबिल होता है.

मुश्किल शेर तो हो ही जाते हैं अक्सर,
आसां कहना ज़्यादा मुश्किल होता है.

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3 JUL 2021 AT 10:58

पेड़, पौधे, फल, परिंदे, फूल, तितली, चाहिए.
और देखो अपनी *ग़फ़लत, "टेक्नोलॉजी चाहिए".
*लापरवाही, carelessness

वो हमारा न हुआ इस बात का भी ग़म नहीं,
वो ख़ुशी से है हमें इतनी तसल्ली चाहिए.

चीख़ने वालों सुनो ये गाँठ पल्ले बांध लो,
"वज़्न बस आवाज़ में नहीं, बात में भी चाहिए".

क्या मिला है कौन सोचे उसके बारे में भला,
इंसा को दुनिया जहाँ सारी कि सारी चाहिए.

वो मिलेगा तुझको ही इस बात की गारंटी है,
उसको पाने को मगर *हसरत *मेयारी चाहिए.
*desire, इच्छा
*Qualitative, उच्च कोटि का

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26 JUN 2021 AT 10:40

हम पत्थर के पुतलों को रब मान रहे हैं,
और आँखें मूंदे दिन को *शब मान रहे हैं??
*रात, Night

उसको किसने देखा है? आए बताए, सब,
अपने हिसाब से अपने मतलब मान रहे हैं.

हमने तुम से उम्मीद लगाई थी हम अब,
ख़ुद ही को ख़ुद के दुःख का *सबब मान रहे हैं.
*कारण, Reason

तेरे इंसां तेरी पूजा तो करते हैं,
तेरे इंसां तेरा कहा कब मान रहे हैं.

सच क्या है कौन सुने किसको पड़ी है "फकीरा"
सब बस अपना अपना मज़हब मान रहे हैं.

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24 JUN 2021 AT 12:43

तू जैसा सोचे वैसा बन जाएगा,
अपनी सोच में झाँक कबीरा ज़िंदा है.

ऊपर से जो चाहे जैसा दिखता हो,
सब के भीतर एक फकीरा ज़िंदा है.

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