जब तुम जीत जाओगे
पूरी दुनिया तुम्हारे साथ होगी
खुशी के मौके में तो मेले जैसी भीड़ होगी।
जब तुम हारोगे तब तुम अकेले
और उसी अकेलेपन में
तुम्हारी हिम्मत की पहचान होगी।
अनूप अवस्थी
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राख में दबी आग को कभी हम शोला बनायेंगे,
जिन जिन से मिला पीठ में खंजर चुन चुन कर उनका हिसाब चुकाएंगे।
अनूप अवस्थी-
मैं उनके लिए रोया हूं जो हंसते है मुझ पर,
कोई जोड़ मिलता नहीं टूटे हुए ख्वाबों के लिए।
पत्थर की दुनिया मुझे भी पत्थर बना कर मानेगी,
अब जगह नहीं बची मेरे जज्बातों के लिए।
क्या पराएं क्या अपने किन पर उंगली उठाऊं,
मैं ही तो दोषी हूं अपने हालातों के लिए।
अनूप अवस्थी-
हमने लोगों के लिए बहुत कुछ किया बदले में कुछ लोगों से अपमान मिला, मैं अपमान का "बदला" अपमान से नहीं लेता वैसे तो बदला भी नहीं लेता, संयम है सब्र है निर्णय है कायम हूं समय आयेगा समय ही सबको बतलाएगा दोगले कौन झुटा अपनापन कौन करता है
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इतना प्यार इतनी यादें इतना दर्द,
मानो दुनिया में एक ही शख्स हो जैसे।
अनूप अवस्थी-
अपनी इस खामोशी में इक तूफान ठहरा है,
उन्हें क्या मालूम हंसने वालों का जख्म कितना गहरा है।
अनूप अवस्थी-
हुआ यह कि दोनों ओर से प्यार हुआ ,
फिर एक लंबा हमारा इंतजार हुआ।
वो आते आते हाथों से फिसल गई जैसे,
कोई ना कौनसा हमारे साथ पहली बार हुआ।
इधर अफवाहों के धुएं ने घेर लिया मुझको,
उधर वो शख्स भी किसी और के साथ हुआ।
हम जिसको अपना मानते रहे "अनूप",
उसी शख्स से छुरा पीट के आरपार हुआ।
जिसे प्यार से छोटी जान कहते रहे,
बदले में उसी से "बदला" नसीब हुआ।
अनूप अवस्थी-
यह सिर्फ कविता है,
ज़िन्दगी का मेरे सार नहीं है।
इक कहानी खत्म जरूर हुई है ,
अब यहां से एक नई शुरुवात हुई है।
अनूप अवस्थी-
कभी यूं लगता है कि सब कुछ खो दिया मैंने,
कभी यूं लगता है अब पाने को कुछ बचा नहीं।
तुम्हारा यूं प्यार देके मुझसे अलग हो जाना,
जैसे अब मेरे पास जीने की कोई वजह नहीं।
अनूप अवस्थी-
थकान की कोई गोली खा ली हो उसने जानो,
टूट कर बिस्तर पर यूं गिरी की अब सोना ही हो मानो।
अनूप अवस्थी-