AnonymousV   (AnonymousV)
276 Followers · 43 Following

read more
Joined 16 May 2020


read more
Joined 16 May 2020
20 APR AT 5:24

ना किसी को खोने का डर ना तमन्ना पाने की
अब इच्छा ही नहीं होती कुछ कर जाने की
खुद पर शक होने लगा है मैं बदल गया क्या ?
और करो जुर्रत मुझे बार बार आजमाने की

हसीं लम्हे अब हसीं नही, बातें वही याद है
मेरे तसव्वुर में हम थे गमों की मुमकिनात लिए
मैंने बेहतरी चाही लेकिन किस जिंदगी के लिए
जहां खुद को टूटते देखा फ़िकरों की बात लिए

छोटी छोटी मांगें मैंने सिर्फ अपने लिए नही की
मेरे दिल मे बहोत डर है आने वाले कल का
जो उन डर के वजहों की पैरवी करते रह गए
मुझे हिस्सा नहीं बनना उनके शीशमहल का

मैं मोहब्बत भूल गया हूँ या पत्थर हो गया हूँ
आरज़ी से लगने लगे है एहसास इस कहानी में
मैंने नज़र-अंदाजियो के नतीजों में तबाही देखी
तेल की एक बूंद हो गया हूँ रिफ़ाक़त के पानी में

-


19 APR AT 8:39

क्योंकि, मर्द हूँ मर्दों को खूब जानता हूँ
पता तो करो कितनी हामियाँ धोखे में हुई
कितनी दफ़ा चाहतें 'मजे' की ही थी और
कब रज़ामंदी, फ़रेबी तरीके अनोखे में हुई

-


17 APR AT 1:43

मौत के इतने करीब आकर
जिंदगी, ये एहसान मंजूर नहीं

अब तू कितना भी अपना बना
ऐ जान तेरा मकान मंजूर नहीं

जख्म तूने कई दिए छोटे बड़े
मैंने कहा भी था, न भर सकेंगे

मैं बेघर भटक लूंगा दर दर
तेरा घर आलीशान मंजूर नहीं

-


20 JAN AT 0:25

आज बिखरे पत्ते कुछ समेटे
जो कभी थे मेरी शाख में

कुछ याद किये वो भी पल
जो गुजरे सिर्फ इत्तिफ़ाक़ में

मैंने आज माना के जिन दरों पे
मैं लौट के जलील हुआ,

वहाँ किसी की नजरें नहीं थी
मेरे आने की फ़िराक़ में

-


5 DEC 2023 AT 14:18

अब ये मेरा घर, घर ना रहा
अब ये मेरा शहर, शहर ना रहा
प्यार भी शर्तों का मोहताज़ है
हमसफ़र, हमसफ़र ना रहा

दर्द, बयान के क़दर ना रहा
मरहम का भी असर ना रहा
सदक़े में खुदा से वो मांग बैठे
लकीरों में जिनका बसर ना रहा

ये किस्से अब किसको सुनाऊं
काबिले बर्दाश्त हशर ना रहा
फिर भी शिकायतें तो सुनो
कहते है के बशर, बशर ना रहा

-


28 OCT 2023 AT 4:08

चंद मोहब्बत के छींटों से
बुझ सकता था अंगारा जो

शोला बन खाक होने चला है
कुछ तो वजह होगी पूछो

-


23 OCT 2023 AT 12:54

मुझ बेघर को तो बस एक छत ही चाहिए थी
शान-ओ-शौकत की ख्वाहिशें की थी तो बता
सब कुछ तुझे माना, सब तेरे लिए ही चाहा
खुद के लिए भी गुज़ारिशें की कभी तो बता

तुझे शिकायत है कि मैंने तुझे बेज़ार कर दिया
तेरा दिल बहलाने को खिलौना न बना तो बता
जब भी टूटकर तू लिपटी मुझमें सिमटी कभी
तुझे सुलाने के लिये बिछौना न बना तो बता

तेरे दिए हुए जख्मों से तेरे जब रिस के बहा खून
मैं तुझसे ही मरहम लगवाने न अड़ा रहा तो बता
तूने कितनी बार तब भी मुंह फेर लिया हो मुझसे
एक आवाज़ पर तेरे साथ न खड़ा रहा तो बता

तुझे चोट लगती थी जिन जिन आदतों से मेरी
उन से खुद को न सुधारना चाहा हो तो बता
तुझ पर जब जब लगाई होगी कोई भी बंदिश
तुझे ही तराशकर न उभारना चाहा हो तो बता

मेरा सह न पाना ही तो तुझसे सहा नहीं गया
तेरे ना-वाक़िफ़ी की इंतिहा हो जाये तो बता
जा सकता है तू आजाद है, मेरी दुआ लेते जा
बेक़दरी की #फ़ितरत से रिहा हो पाए तो बता

-


31 AUG 2023 AT 22:11

● लघु - प्रेम कथा ●

मैं मुड़ता न तो क्या करता
मैं नहीं बन सका दर्पण

मैं सीख न सका निर्लज्जता
वो सीख न सके समर्पण

-


30 AUG 2023 AT 21:52

तू बहुत कुछ मुझ सा है या हालात एक से है
सोचता हूँ काश हम पैदा होते एक कोख़ से

-


29 AUG 2023 AT 21:19

तन्हा रात के खाक अंधेरे
खुद में मिला ले बुला ले
सदा के लिए

मैं ढूंढता हूँ ऐसा दर्द कोई
जो और सारे दर्द भुला दे
सदा के लिए

फिर सुकून की नींद लिए
के आ जाये मौत सुला दे
सदा के लिए

-


Fetching AnonymousV Quotes