कब से तुझसे बात करना चाह रही हूँ तुझसे मिल कर भी तुमसे मिल ना पा रही हूँ नौबत ये कि तुमसे ख़ुद के लिए वक़्त माँगना पड़ रहा है ऐ मेरे खुदा ये मैं कैसा उसे चाह रही हूँ उसके पास तो वक़्त ही नहीं मुझसे गुफ़्त-अ-गू का और मैं झली उस से इज़हार-ए-इश्क़ चाह रही हूँ मेरे एहसासों से बेख़बर जब डूबा है वो अपने जहाँ में तो कैसा ये इक तरफ़ा रिश्ता मैं निभा रही हूँ तकल्लुफ़ को उसके लगता है मैं इश्क़ समझ बैठी जिस से मैं सुबह से बात करना चाह रही हूँ!
तेरे तर्ज़ पे मैं ये जनम नहीं निभा पाऊँगी बर्ताव… जैसे की कुछ हुआ ही नहीं… मैं नहीं जाता पाऊँगी… कहती हूँ छोड़ देने का… इस बार चली ही जाऊँगी.. तेरी ख़ैरियत देखने को हर बार रुकती हूँ… फिर लौट आती हूँ… इस बार… मैं वापिस नहीं आऊँगी!
हर घड़ी तू जब बस चिंता में घुलता है तो बता आख़िर क्यों मुझसे मिलता है सुकून था ये साथ… ये रिश्ता पहले तो क्या तेरा फ़र्ज़ उमर भर के लिए नहीं बनता है? माना कि थोड़ा दर्द होगा उधर भी इधर भी पर टहनी टूटने पर ही नया फूल खिलता है मिलने से पहले जब अलग होने का वक़्त ताकने लगे गणित बिठा के भला कहाँ रिश्ता चलता है वक़्त चुराते थे हम ख़ुद ही ख़ुद से दूजे के लिए अब करार मुलाक़ात ख़त्म होने पे मिलता है जुदायी के दुख की जगह जब मिलने के दुख ने ले ली हो ये रिश्ते की नहीं हमारी विफलता है
एक वक़्त था… तेरी मजबूरी समझ कर भी… अपने दिल के हाथों मजबूर…. मैं ज़िद्द औ फ़िक्र किया करती थी… एक वक़्त है की… तेरे नक़ली बहानों पर भी… तुझे हक़ से मुखातिब तो दूर… मैं ज़िक्र तक नहीं करती…!
उसके लिए उस से लड़ना छोड़ दिया, हौले से रिश्ते को तकल्लुफ़ से जोड़ दिया, वादा था उसका काफ़ी होऊँगा मैं सदा तेरे लिये.. वो काफ़ी रहा….. बस उसने होना छोड़ दिया!
बहाने से जो रिश्तों की मियाद भरते हैं वो असल में ज़िंदगी बर्बाद करते हैं ग़र हम ज़रूरी होते… “हम”सफ़र साथ होते… उनके “बहानों” को…. “कारण” मान… हम फिर उन्हें ही याद करते हैं!
Hands that once held... Eventually lose the hold... Thats when... Love becomes old... Its irreplaceable... Cant be sold... But it erodes... A truth... NoBODY told...!
कस के पकड़ने से वो तेरा नहीं रहेगा डूब गया जो इक बार सूरज फिर उस दिन का सवेरा नहीं रहेगा कल संवारने की ज़िद में आज को गवाँ कर ना आज- ना कल… कुछ भी तेरा नहीं रहेगा बहुत क़दरदान हैं… तेरे भी… मेरे भी… पर उनका ख़्वाबों पे वैसा डेरा नहीं रहेगा बहुत मेहनत से बन कर कमाया है रिश्ते ने नाम फिर बस नाम ही बचेगा… रिश्ता नहीं रहेगा!