Anonymous One   (Rahgir)
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शब्द मेरे कुछ कड़वे है
क्योंकि मेरी जिंदगी के तजुर्बे तगड़े है
Joined 28 October 2017


शब्द मेरे कुछ कड़वे है
क्योंकि मेरी जिंदगी के तजुर्बे तगड़े है
Joined 28 October 2017
28 SEP 2022 AT 19:25

खेतो में जिसने बंदूके बोई
अंग्रेजी हुकूमत भी जिसके खौफ से से रोई
एक ही था वो मां का लाल
उसकी तरह अमर होगा न दूजा कोई

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27 SEP 2022 AT 11:51

कभी कभी यादें बहुत रुलाती हैं जनाब

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27 SEP 2022 AT 1:13

कर सकूं खुद शब्दो में बयां इतनी मेरी हैसियत ही नहीं
मिल जाए काश कोई हमे भी ऐसा जो पूछे सब खैरियत हैं की नहीं

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18 AUG 2022 AT 10:29

रोम रोम मेरा सिहर गया
रात को जब वो सपने में मुझसे बिछड़ गया

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10 AUG 2022 AT 22:29

लड़ते लड़ते बिछड़ने की बात करते थे
आज जब बिछड़ गए तो लड़ना याद आता हैं

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1 AUG 2022 AT 16:15

एक अरसा सा बीत गया कलम उठाए
हाल क्या है अपना ये किसको बताए
खामोशी भी बहुत कुछ बयां करती हैं
पर अफसोस हैं ही जी कोई जो ये समझ भी पाए

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1 AUG 2022 AT 10:12

रात की चांदनी सी हो तुम
दिन गुजारना पड़ता है दीदार को तुम्हारे

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20 JUL 2022 AT 0:44

वो भी कभी गांव थे जो आज शहर हो गये
बदलते वक्त के साथ अपनी पहचान खो गये
हरी भरी फसलें लहलहाती थी जिन खेत खलिहानों में
आज वहां चार दीवारी में कैद घर अलीशान हो गये

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17 APR 2022 AT 9:37

चारों तरफ शोर है मुल्क में
क्या युद्ध का दौर है मुल्क में


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8 MAR 2020 AT 9:09

चूड़ियों का मेरी अपमान ना कर बाजुओं में मेरे भी दम है
मौका मिला है तो बतलाया भी है हमने
हम में सरकार को हिलाने का भी दम है

घर से निकल कर आज हम सड़कों पर है
इंच पीछे नहीं हटने वाले आज सामने हमारे घुटनों पर है
करते हो सम्मान हमारा तो बात हमारी भी सुनो
वरना नारी शक्ति है हम असुरो का अंत करने तक का दम है

है नहीं ऐसा कोई क्षेत्र जहा वर्चस्व हमारा कम है
हम ही लक्ष्मी बाई है, हम ही मा काली भी है
हम अपनी बातों से नहीं
कामों से तुम्हारे सम कक्ष है

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