डर कहां मौत से था,
डर तो तुझसे बिछड़ने में था, महादेव ।
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कुछ दोस्त सितारों की तरह होते हैं ...
जैसे सितारे रात में चमकते हैं,
वैसे कुछ दोस्त मुश्किल वक्त में बेहद चमकते है ।-
हम पुराने सदीयों में अब जा तो नहीं सकते
पर कुछ किताबें हैं जो ये काम बखूबी करते हैं ।।-
साइकिल की पहिया घुमाते घुमाते
न जाने कब जिंदगी की पहिया घुम गया
कि बचपन आज एक किस्सा बन गया है ।-
जरा संभल के चला करो
अपने स्वार्थ, नफ़रत, घमंड को ले कर
जिस राह पर तुम चल रहे हो
वहां मेरे महाकाल बैठा है शमशान की द्वार खोल कर ।-
ये उम्मीद कभी मत रखना की ...
मोहब्बत के बदले मोहब्बत ही मिलेगा,
यदि ऐसा होता तो
गुलाब में कभी कांटे न होते ।।-
कुछ चीजें ऐसे पुराने ही अच्छे लगते हैं ...
उन्ही में से
'कुछ पुराने दिन'
'कुछ पुराने यादें'
'कुछ पुराने दोस्त'-
मोहब्बत की बूंदें बरस रहा है,
भीगने दे मुझे पहला पहला प्यार हुआ है ।
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मैं नाम शोहरत के पीछे भागता रहा,
और वे शहादत के लिए पागल होते रहे ।।-
ताजुब की बात ये है कि ,
लोग कैसे फरेबी दुनिया की नकाबी
चेहरे से इश्क कर बैठते है ।
वह भी आज एक से कल किसी और से ... l
और यहाँ हम वही पांच रुपए की
आद्रक वाली चाय की गिलास की गहराई में
बिस्कुट की तरह डूब चुके हैं ।।
शायद चाय की गरमी में भी एक नशा इश्क की है ।-