anonymous   (ANONYMOUS | कवितालय)
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एक अज्ञात शिवप्रेमी 🔱
Joined 10 August 2019


एक अज्ञात शिवप्रेमी 🔱
Joined 10 August 2019
19 APR 2021 AT 17:13

डर कहां मौत से था,
डर तो तुझसे बिछड़ने में था, महादेव ।

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14 APR 2021 AT 17:50

कुछ दोस्त सितारों की तरह होते हैं ...
जैसे सितारे रात में चमकते हैं,
वैसे कुछ दोस्त मुश्किल वक्त में बेहद चमकते है ।

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12 APR 2021 AT 18:17

हम पुराने सदीयों में अब जा तो नहीं सकते
पर कुछ किताबें हैं जो ये काम बखूबी करते हैं ।।

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11 APR 2021 AT 18:00

साइकिल की पहिया घुमाते घुमाते
न जाने कब जिंदगी की पहिया घुम गया
कि बचपन आज एक किस्सा बन गया है ।

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10 APR 2021 AT 18:13

जरा संभल के चला करो
अपने स्वार्थ, नफ़रत, घमंड को ले कर
जिस राह पर तुम चल रहे हो
वहां मेरे महाकाल बैठा है शमशान की द्वार खोल कर ।

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9 APR 2021 AT 17:31

ये उम्मीद कभी मत रखना की ...
मोहब्बत के बदले मोहब्बत ही मिलेगा,
यदि ऐसा होता तो
गुलाब में कभी कांटे न होते ।।

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8 APR 2021 AT 18:47

कुछ चीजें ऐसे पुराने ही अच्छे लगते हैं ...
उन्ही में से
'कुछ पुराने दिन'
'कुछ पुराने यादें'
'कुछ पुराने दोस्त'

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7 APR 2021 AT 18:47

मोहब्बत की बूंदें बरस रहा है,
भीगने दे मुझे पहला पहला प्यार हुआ है ।

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5 APR 2021 AT 17:26

मैं नाम शोहरत के पीछे भागता रहा,
और वे शहादत के लिए पागल होते रहे ।।

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4 APR 2021 AT 16:32

ताजुब की बात ये है कि ,
लोग कैसे फरेबी दुनिया की नकाबी
चेहरे से इश्क कर बैठते है ।
वह भी आज एक से कल किसी और से ... l
और यहाँ हम वही पांच रुपए की
आद्रक वाली चाय की गिलास की गहराई में
बिस्कुट की तरह डूब चुके हैं ।।
शायद चाय की गरमी में भी एक नशा इश्क की है ।

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