अनोखी प्रिता   (अनोखी प्रिता)
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Joined 9 May 2021


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Joined 9 May 2021

किसी की कमियों पर हँसना नहीं
उसकों पुरा करना सीखों ।।

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योग ....!
हि नीरोगी का
आधार हैं।।

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हम तो जिक्र ,नवम्बर का कर रहें थे
पता हीं नहीं चला कब,

प्रिय ! दिसंबर भी आ गया ।।🙂

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मेरी हर सुबह तुझसे हैं !!

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जीवन धागों सा उलझा हुआ भी ज़रूरी हैं
क्योंकि, सुलझें हुएं को

उलझनों की समझ नहींं होती ।।

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सुहावनें ठंड भरे एहसास... !!

बस नवंबर की शुरुआत हैं,
गर्म हवाओं में ,सर्द हवाओं की भी
बरसात हैं ।।

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वो जगमगाती रात अब दूर नहीं...!!

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में तेरा अपना ,तुम मेरा अपनापन हों
क्या मेरे जैसे तुम भी इस बात से अंजान हो।

सपनों में नहीं, पर आँखों में तो सजे हो
क्या तुम भी इसी हकीकत से अंजान हो।

में तेरी चाहत ,तुम मेरी गहरी सी लत हो
पर क्या तुम भी किसी चाहत के अंजाम हो।

में हूँ भवरा तेरा ,तुम भी रस भरा फूल हो
फ़िर क्या तुम भी ख़ुशबु भरे चमन से दूर हो।

में चाँद हुँ, इस रात का और तुम चाँदनी हो
पर क्या तुम भी इस प्यार रूपी रात से निराश हो।।

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कई मन्नतों को मान कर
सुनी कोख भी सजा लेते हो ।

फिर क्यों ,एक बेटी को जन्म देकर
दिल से हताश हो जाते हो ।

भूल जाते जिस नारी से जन्म लिया हैं
फ़िर पीढ़ा , उसकी क्यों भूल जाते हो।

भूल जाते ,जिन बेटियों से हैं खुद का भविष्य
क्यों समाज के भविष्य को कचरें में फेक जाते हो ।

खिलतीं हुई कलियाँ होती हैं, बेटियाँ
फ़िर भी ,क्यों डाली से दूर कर जाते हो।

आज के युग में जीकर भी कई समाजों में
तुच्छ मानसिकता हीं, क्यों भर जाते हो।

_अनोखी प्रिता ✍🏻

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अटूट सा हैं।। ❤️

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