किसी की कमियों पर हँसना नहीं उसकों पुरा करना सीखों ।। -
किसी की कमियों पर हँसना नहीं उसकों पुरा करना सीखों ।।
-
योग ....! हि नीरोगी का आधार हैं।। -
योग ....! हि नीरोगी का आधार हैं।।
हम तो जिक्र ,नवम्बर का कर रहें थे पता हीं नहीं चला कब, प्रिय ! दिसंबर भी आ गया ।।🙂 -
हम तो जिक्र ,नवम्बर का कर रहें थे पता हीं नहीं चला कब, प्रिय ! दिसंबर भी आ गया ।।🙂
मेरी हर सुबह तुझसे हैं !! -
मेरी हर सुबह तुझसे हैं !!
जीवन धागों सा उलझा हुआ भी ज़रूरी हैंक्योंकि, सुलझें हुएं को उलझनों की समझ नहींं होती ।। -
जीवन धागों सा उलझा हुआ भी ज़रूरी हैंक्योंकि, सुलझें हुएं को उलझनों की समझ नहींं होती ।।
सुहावनें ठंड भरे एहसास... !!बस नवंबर की शुरुआत हैं, गर्म हवाओं में ,सर्द हवाओं की भी बरसात हैं ।। -
सुहावनें ठंड भरे एहसास... !!बस नवंबर की शुरुआत हैं, गर्म हवाओं में ,सर्द हवाओं की भी बरसात हैं ।।
वो जगमगाती रात अब दूर नहीं...!! -
वो जगमगाती रात अब दूर नहीं...!!
में तेरा अपना ,तुम मेरा अपनापन होंक्या मेरे जैसे तुम भी इस बात से अंजान हो।सपनों में नहीं, पर आँखों में तो सजे होक्या तुम भी इसी हकीकत से अंजान हो।में तेरी चाहत ,तुम मेरी गहरी सी लत होपर क्या तुम भी किसी चाहत के अंजाम हो।में हूँ भवरा तेरा ,तुम भी रस भरा फूल होफ़िर क्या तुम भी ख़ुशबु भरे चमन से दूर हो।में चाँद हुँ, इस रात का और तुम चाँदनी होपर क्या तुम भी इस प्यार रूपी रात से निराश हो।। -
में तेरा अपना ,तुम मेरा अपनापन होंक्या मेरे जैसे तुम भी इस बात से अंजान हो।सपनों में नहीं, पर आँखों में तो सजे होक्या तुम भी इसी हकीकत से अंजान हो।में तेरी चाहत ,तुम मेरी गहरी सी लत होपर क्या तुम भी किसी चाहत के अंजाम हो।में हूँ भवरा तेरा ,तुम भी रस भरा फूल होफ़िर क्या तुम भी ख़ुशबु भरे चमन से दूर हो।में चाँद हुँ, इस रात का और तुम चाँदनी होपर क्या तुम भी इस प्यार रूपी रात से निराश हो।।
कई मन्नतों को मान कर सुनी कोख भी सजा लेते हो ।फिर क्यों ,एक बेटी को जन्म देकर दिल से हताश हो जाते हो ।भूल जाते जिस नारी से जन्म लिया हैंफ़िर पीढ़ा , उसकी क्यों भूल जाते हो।भूल जाते ,जिन बेटियों से हैं खुद का भविष्यक्यों समाज के भविष्य को कचरें में फेक जाते हो ।खिलतीं हुई कलियाँ होती हैं, बेटियाँफ़िर भी ,क्यों डाली से दूर कर जाते हो। आज के युग में जीकर भी कई समाजों में तुच्छ मानसिकता हीं, क्यों भर जाते हो। _अनोखी प्रिता ✍🏻 -
कई मन्नतों को मान कर सुनी कोख भी सजा लेते हो ।फिर क्यों ,एक बेटी को जन्म देकर दिल से हताश हो जाते हो ।भूल जाते जिस नारी से जन्म लिया हैंफ़िर पीढ़ा , उसकी क्यों भूल जाते हो।भूल जाते ,जिन बेटियों से हैं खुद का भविष्यक्यों समाज के भविष्य को कचरें में फेक जाते हो ।खिलतीं हुई कलियाँ होती हैं, बेटियाँफ़िर भी ,क्यों डाली से दूर कर जाते हो। आज के युग में जीकर भी कई समाजों में तुच्छ मानसिकता हीं, क्यों भर जाते हो। _अनोखी प्रिता ✍🏻
अटूट सा हैं।। ❤️ -
अटूट सा हैं।। ❤️