Annu srivastava 'Nakku'   (Nakku...)
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मोहब्बत के शहर में हम
बदनाम हो गए....
Joined 15 October 2018


मोहब्बत के शहर में हम
बदनाम हो गए....
Joined 15 October 2018
1 FEB 2023 AT 11:21

दरख्तो से तिरा अश्क झलकता है
इन लबों में आब आ जाती है।
दो घूंट पिया नहीं था जाम का अभी
तिरी यादों से भरी शाम आ जाती है।

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1 FEB 2023 AT 0:17

मिरे हर्फों में जिक्र न हो तिरा कैसे हो सकता है
बड़ी तवक़्क़ो से ये अश्क तिरे फिराक में सो जाते हैं।

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20 MAY 2020 AT 8:14


इन हाथों की करामातों से तंग आ जाती हूँ,
लिखने कुछ और बैठती हूँ, नाम तेरा लिख आती हूं

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27 JUN 2021 AT 13:09

मेरे मन में तुम्हारे उस प्रेम की छवि
इस प्रकार बनी है,
जिसे मैं शब्दों में बयां नहीं कर पाउंगी,
मग़र ऐसा भी नहीं है कि
मैं उसे खुद से जुदा नहीं कर पाऊंगी।
बेहिसाब उठता है सैलाब मन में उस प्रेम का,
जिसे मैं,तुम्हें दिखा नहीं पाऊंगी।
अंदर-ही-अंदर तड़पता है हृदय,
मग़र उसका दोष ,मैं तुम्हें दे नहीं पाऊंगी।
ढलते है दिन,ढ़ल जाती हैं रातें,
मग़र तुम्हारे हृदय भेदी शब्दों को भुला नहीं पाउंगी।
ख़ुद से नाराज़गी इस बात की रहेगी कि,
कभी तुम्हारे जैसी मैं बन नहीं पाऊंगी।

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17 MAY 2020 AT 12:40

.. खिज़ा में जो बहार ला दे ऐसा इश्क़ हैे बेपनाह आपसे।,
खुदा ने भी जिसे कुबूल किया ऐसा मर्ज है आपसे।
खतों में लिखा करते है पैग़ाम तेरे नाम के,
छोड़ेंगे न हाथ ओ साथी मरते दम तक ऐसा कौल है आपसे।

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16 MAY 2020 AT 15:04

खौफ है उसे जो हो नहीं सकता,
जो जी चुका है जिंदगी पहले,वो अभी मर नहीं सकता।
दलहते दिलों में झाँक कर देखो शायद कही मिल जाये,
हँसते खिलखिलाते हुए अपनो के बीच,क्योंकि अब वो मिल नहीं सकता।

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16 MAY 2020 AT 12:14



सुना है आज कल उनका दर खाली रहता है,
तभी तो उनकी महफ़िल में झूठों की बारिश होती है

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15 MAY 2020 AT 7:09

आंखों में सपने लिए शहर-दर-शहर बदलते गए,
रेत की तरह रिश्ते भी हाथों से फिसलते गए।

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15 MAY 2020 AT 6:59

तू वो चांद है,
जिसे मैं पाना नहीं चाहती।
मगर तुझे देखने का,
एक भी मौका गवाना नहीं चाहती।

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15 MAY 2020 AT 6:54

ख्वाहिश है तुम्हें चाहने की,
दूर से ही देखने की..
पास आकर अक्सर लोग
जुदा हो जाते हैं...

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