वो शब्द मैंने पहने कानों में झुमकों की तरह
तुम्हारे इंतज़ार में... वो बजते हैं घंटियों जैसे
तुमने कहा था कि तुम लौटोगे मेरी ओर
वो शब्द बंधे हैं मन में.. मन्नत के धागों जैसे
उन शब्दों को समेटे बैठी हूँ कि तुम आओगे
उन्हें गले में पहनती हूँ किसी ताबीज जैसे-
Love to smile
M in love with rain..
तेरे प्यार में सब मौसम मनभावन है
उष्णता ओढ़े गर्मियाँ या
शीत पहने हुए सर्दियां
दोनो ही सरस सुगंधित सा सावन है
तेरे प्यार में सब मौसम मनभावन है-
विश्व पर्यावरण दिवस पर पर्यावरण का मानव मात्र से एक निवेदन...
हे मानव !
हरे भरे आँचल को मेरे
नितप्रति तुमने जीर्ण किया
प्राण वायु को तुमने ही
प्रतिपल विदीर्ण किया
मेरे गहन अरण्यों को
तुमने वृक्ष विहीन किया
मैं नभ हूँ मैं घन हूँ
मैं संपदा मैं ही धन हूँ
मैं सूरज मैं ही जल हूँ
मैं श्वास मैं ही जीवन हूँ
हृदय तुम मैं स्पंदन हूँ
मैं आज और मैं ही कल हूँ
मैं अक्षुण्ण हूँ मैं अटल हूँ
मेरे होने से तेरा होना तय है
वरना ...निःसंदेह प्रलय है ।-
ग़म तमाम अपना...अपने सीने में छुपा के
वो शख़्स हँसता रहा बेवाक ठहाके लगा के
हम इस भ्रम में ही जीते रहे कि वो ख़ुश है बहुत
अब जाना है कि हँसने और ख़ुश रहने में फ़र्क़ है बहुत
मेरे दुख सारे उन बाहों में फ़ना हो जाते हैं
ख़ैरियत पूछिये ना...एक बार गले लगा के-
मन को स्तब्ध कर जाती हैं
इंतज़ार के बाद की मायूसी
नितांत ख़ालीपन दे जाती है
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दुआएँ आपकी क़ुबूल हो..ये सोच कर
अपने हाथ...हम दुआ में उठाएंगे
फ़ासलों को भी मुहब्बत से निभाएंगे
दूर ही से आपकी ईद में शरीक़ हो जाएंगे-
छोटी छोटी अंजलि से जहां भर स्नेह लुटाती हैं औरतें
मुट्ठी भर के दिल से बेपनाह मुहब्बत कर जाती हैं औरतें
तितलियों से पंख..इंद्रधनुष से रंग चुराती हैं औरतें
एक शब्द "धरा" से परिभाषित हो जाती हैं औरतें
टूटे गर कभी एक आँसू में भी सिमट जाती हैं औरतें
और कभी बिखरे तो...क़ायनात बन जाती हैं औरतें-
कभी चाहा जहाँ सारा, कभी मुठ्ठी भर आसमां
वो ज़माना और था...ये ज़माना और है !!
ग़ज़ल मुक़म्मल की गई है अनुशीर्षक में ❤️— % &-
एक अजनबी यूँ मिला मुझे
मेरी पहचान बन गया
रिश्ता कहाँ कोई था उससे
मुझसे मिला, मेरी जान बन गया
घुलता रहा वो इस क़दर मुझमें
फ़ीकी ज़िन्दगी की मुस्कान बन गया
कुछ अधूरा सा बाक़ी था मुझमें
सूनी ज़िन्दगी में लोबान बन गया !-
झुकाना पलकों को लाज़िम सा हो गया है
कि मेरी आँखें तुम्हारा नाम कहने लगी हैं
इत्र का नाम सब पूछने लगे हैं मुझसे...
ख़ुशबू जो तेरी साँसों में मेरी रहने लगी है-