कभी साथ में जमा करती थी हम सब कमीनों की टोली,
सुनता कोई किसी को नहीं था सब बोलते थे अपनी अपनी बोली।😂
सबका एक साथ मिलने का मतलब एक की बेइज्जती होना तय था,
वो कोई और नहीं बस मेरा ही नाम सबसे ऊपर था।🙄🙄
कोई दरवाजा,कोई फाटक,कोई पतीला बुलाता था,
पर मुझे भी कद्दू ,सोना चाँदी च्यवनप्राश, बीड़ू और झल्लो नाम भाता था।🤣
पर वक़्त के तसब्बुर म सब ऐसे व्यस्त हुए
हमारी दोस्ती के रिश्ते भी कुछ अस्त व्यस्त हुए🙂😕।
अब बो टोली और बोली बहुत याद आती है,
नालायकों सब मिल लो आके तुम्हारी फाटक तुम्हें बुलाती है।😟😟🤓
Miss u yaro....😘😘
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