Annu Pathak   (मेरी डायरी से (Annu))
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Joined 15 October 2018


Joined 15 October 2018
11 JUL 2022 AT 18:06

अभी तो शुरुआत है परिणाम अभी बाकी है,
अभिमान को ढहाने का इल्जाम अभी बाकी है।
सुकून की नींद नहीं आँखों में जागृत प्यास है,
दृढ़निश्चय के ख्वाबों का इनाम अभी बाकी है।
अभी तो शुरुआत है परिणाम अभी बाकी है।।

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26 JAN 2021 AT 9:37

है अमृतसर सा पावन स्थल, गंगा का निर्मल पानी है।
है श्री राम की जन्मभूमि, अल्लाह का नाम जुबानी है।
मन की दीवारें तोड़ो और धर्म-धर्म करना छोड़ो,
हैं हिन्दू-मुस्लिम बाद यहाँ पहले तो हिंदुस्तानी हैं....।
🇮🇳🇮🇳

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26 JAN 2021 AT 9:26

' है रीत जहाँ की प्रीत सदा ' हम उस माटी में जन्मे हैं,
ये भूमि वीर शहीदों की यहाँ वीरों के ही नगमें हैं....।

हिन्दू, मुस्लिम, सिख,ईसाई आपस में सब भाई यहाँ,
ये भारत माँ के वीर सपूत योद्धा इनकी रग-रग में है..।

🇮🇳🇮🇳जय हिंद🇮🇳🇮🇳

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21 JAN 2021 AT 10:45

" हकीक़त "

दूर से देखो तो हर चेहरे की मुस्कान सच्ची लगती है....
क्यों कि उन आँखों को नहीं देखते जो टूट जाने का जिक्र करती हैं....!

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18 JAN 2021 AT 12:19

" जीवन "

इस छोटी जीवन डगरी में हर साँस टूटती जाती है,
गाड़ी तो आगे बढ़ती है पर सड़क छूटती जाती है..!

कहीं मोड़ , चौराहे पर एक नई सवारी मिलती है,
लोग उतरते जाते हैं जब उनको मंजिल मिल जाती है..!

एक आया और एक गया ये सिलसिला चलता रहता है,
कुछ एक सवारी ही मिलकर मंजिल तक साथ निभाती हैं..!

थक जाए भी ये अगर तो इसको रोक नहीं सकते,
गर रुक गए इसके पहिये तो ये मिट्टी बन जाती है..!

कुछ सफर खूबसूरत हैं और कुछ मुसीबत वाले हैं,
ये खट्टी - मीठी , मिलीजुली यात्रा ही ज़िन्दगी कहलाती है..!

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16 JAN 2021 AT 22:29

ये रात का अँधेरा बीत जाता क्यों है..
नई सुबह सुनहरी लाता क्यों है...?
कि समेटकर रात भर जो जोड़ता है खुद को,
वो ढलती शाम के साथ टूट जाता क्यों है ..?

कतरा-कतरा काट के दिन ये ढलता जाता है...
भोर से साँझ का इतिहास बदलता जाता है,
जो दिन भर पेट जलाता है अपनों के पेट को भरने को...
वो आते ही घर के आँगन में ढेर हो जाता क्यों है..?

अपने छूटे, सपने टूटे, मन की इच्छाओं को मारा है...
झुक गया खुद के सामने जो और चीखा तू ही सहारा है,
चंद चेहरों की मुस्कान की खातिर अपनी हंसी को बेच दिया ...
फिर भी उनके ताने सुनकर वो होंठों से मुस्कुराता क्यों है..?

लंबे दुःख-दर्द छुपाकर के आहों को भरकर बैठा है...
जो बाहों को फैलाता था वो आज सिमटकर बैठा है,
जिसे नाज था अपने जमीर अपने बल पर...
आज तनिक सी आहट से वो चुप हो जाता क्यों है..?

कि सुकून कहाँ वो दिन के शोर म जो रात की विनम्र खामोशी में है ,
न जाने क्यों ये दिन हमें खुद में उलझाता क्यों है..?

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15 JAN 2021 AT 11:10

A lot of people are around us........
but nobody is with us when we need them...

It's a fact...👍

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30 JUL 2020 AT 18:05

कभी साथ में जमा करती थी हम सब कमीनों की टोली,
सुनता कोई किसी को नहीं था सब बोलते थे अपनी अपनी बोली।😂

सबका एक साथ मिलने का मतलब एक की बेइज्जती होना तय था,
वो कोई और नहीं बस मेरा ही नाम सबसे ऊपर था।🙄🙄

कोई दरवाजा,कोई फाटक,कोई पतीला बुलाता था,
पर मुझे भी कद्दू ,सोना चाँदी च्यवनप्राश, बीड़ू और झल्लो नाम भाता था।🤣

पर वक़्त के तसब्बुर म सब ऐसे व्यस्त हुए
हमारी दोस्ती के रिश्ते भी कुछ अस्त व्यस्त हुए🙂😕।

अब बो टोली और बोली बहुत याद आती है,
नालायकों सब मिल लो आके तुम्हारी फाटक तुम्हें बुलाती है।😟😟🤓
Miss u yaro....😘😘

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30 JUL 2020 AT 17:31

सामान्यतः हम दोस्त हैं से शुरुआत न होकर,
हम दुश्मन हैं से शुरुआत हुई😉।
जब भी तुमसे मेरी मुलाकात या बात हुई।

हम बहन हैं, दोस्त हैं या दुश्मन🤔या हम परछाई हैं?
मगर जितने लम्हें हम साथ रहे तुम हर पल में मेरी खास हुई।😍

नासमझ से लेकर बिन बोले ही सबकुछ समझ लेना,
ये सफर बहुत ही रोचक है।
कभी कह मत देना कि लो तुम मेरे लिए टाइम पास हुई☹️☹️

यूँही साथ रहना हमेशा बेवकूफ बहन समझ कर ही सही😒
क्यों कि टूट जाऊँगी मैं जब भी तुम न मेरे साथ हुई।🙂🤗

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20 JUL 2020 AT 23:56

न जाने ये सफर कहाँ पहुंचाएगा,
जाने देगा या जान ले जाएगा।

तिनका-तिनका जोड़कर बसेरा होगा या,
बारिश का कहर उसको बहा ले जाएगा।

एक-एक ईंट मिलाकर ये खूबसूरत इमारत बनाई है यकीं की,
सच का बादल कहीं इसे ढहा तो न जाएगा।

कि बड़ा ही प्यार देकर सींचा है इस फूल को,
मेरा होकर रहेगा या माली के साथ जायेगा।

उम्रों में अंतर है तो अनुभवों में भी होगा,
मगर ये अंतर दिलों का अंतर तो न हो जायेगा।

यूँ तो अथाह जल है गहरे सागरों में,
मगर नदी हो जो शीतल जल की तो उसे सागर की उपेक्षा तो न कहा जायेगा।

न जाने ये सफर कहाँ पहुँचायेगा,
जाने देगा या जान ले जाएगा।

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