गुरु की हो जब वंदना, मिले शिष्य को प्राण ।
गुरु ने ही जीवन दिया, अद्भुत नेक प्रमाण ।।

प्रतिपल आते याद हरि, जब- जब होती पीर।
मत भूलो सुख में कभी, रहो सदा गंभीर ।।

रचनाकर
अन्नपूर्णा बाजपेयी अंजू
कानपुर

-