अन्नपूर्णा बाजपेयी  
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Joined 8 April 2020


Joined 8 April 2020

03/07/25******गुरुवार

आ गए मनहर सलोने, प्रीति में खोए।
ताकते नयना रहे जो, धार भर रोए।
जा सुनाए अब कहो ये , बात हम किसको।
प्रेम की ये पौध मितवा, पीर से बोए।।

अन्नपूर्णा बाजपेयी आर्या
कानपुर

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30/06/25******सोमवार

बरखा रानी आ गई, हुआ प्रकृति शृंगार।
खिल कर धरणी को मिला, प्रियतम का उपहार।।
प्रियतम का उपहार, लिए हैं जलद सलोने |
घुमड़-घुमड़ कर खेल, रहे अनमोल खिलौने|
पग उठती झंकार, नृत्य कर रही दिवानी |
मन में उठे हिलोर, देख के बरखा रानी।।

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30/06/25******सोमवार

बरखा रानी आ गई, हुआ प्रकृति शृंगार।
खिल कर धरणी को मिला, प्रियतम का उपहार।।
प्रियतम का उपहार, लाए नीरद सलोने ।
घुमड़ घुमड़ कर खेलता, गगन अनमोल खिलौने।।
पग उठती झंकार, नृत्य दिखाए दिवानी।
मन में उठे हिलोर, देख के बरखा रानी।।

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२८/०६/२५*******शुक्रवार

ये जीवन सुख दुख का डेरा,
जिसमें सुख कम दुख ने घेरा ।
उर विचलित अरु कंपित तन है,
दृग उन्मीलित व्यथा सघन है।।

पीड़ा जाकर किसे सुनाऊं,
ना जाने कब मैं कल पाऊं।
जग के स्वामी अब तो जागो,
तव चरणों में हूं मत त्यागो ।।

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२६/०५/२५

जसुदानंदन तुम नंद दुलारे हो कन्हैया,
बलदाऊ गोरे तुम तो कारे हो कन्हैया,
नाम तुम्हारा जपते सब जीव जंतु नर नार, 
भक्त जनों के तुम ही रखवारे हो कन्हैया।।

अन्नपूर्णा बाजपेयी



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दोहरे चरित्र के लोग अपने आस पास मित्र भी वैसे ही पसंद करते हैं।

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विषय - इंदिरा छंद
हलक सूखते , तेज धूप है,
गगन ताकता, आज कूप है।
बिलखते फिरें, जीव आज हैं,
रहट हैं कहाँ नीर साज हैं।।

पथिक राह में, खोजता चला,
पवन है कहाँ, सोचता चला।
थकन से घिरा, छाँव ढूंढता,
सजल देह थी, आँख मूंदता।।

अन्नपूर्णा बाजपेई आर्या
कानपुर

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एक रिक्वेस्ट

आपरेशन सिंदूर की टीम लीडर ऑफिसर या भारतीय सेना के किसी भी अफसर के बारे में या सेना की किसी भी गतिविधि के बारे में अपने फेसबुक, वाट्स अप स्टेटस, इंस्टाग्राम, ट्विटर या अन्य सोशल अकाउंट पर पोस्ट न लगाएं । इससे हमारे आंतरिक और बाहरी दुश्मनों को उनके बारे में जानकारी बड़ी आसानी से मिल जाएगी और सब कुछ खतरे में पड़ सकता है। अतः देश प्रेम की भावना मन में रखते हुए हमारे सैनिकों के लिए शुभ प्रार्थना करते रहें।

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कब जागोगे??
चाहिए अब पी एम भी ऐसा जो 
हर आतंकी पर  बुलडोजर चलवा दे ,
खत्म करे खानदान के खानदान 
नहीं चाहिए देश के गद्दार भाई 
गोली मार भेजा उड़ा दे मिटे खुदाई 
सारी हूरें मिल जाएंगी एक बार में
क्यों रोज रोज जाकर उनको तंग करना
बहुत हुआ यह नंगा नाच बहुत हुई रहनुमाई
ऐसा कोई लाल उठे भारत में जो
मौन करे, खत्म करे इस आतंक को 


अन्नपूर्णा बाजपेयी आर्या
कानपुर


बहुत हुआ यह नंगा नाच बहुत हुई रहनुमाई

ऐसा कोई लाल उठे भारत में जो

मौन करे, खत्म करे इस आतंक को 


अन्नपूर्णा बाजपेयी आर्या

कानपुर

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०२/०४/२५*******बुधवार

खाली लोग और खाली पन्नी दोनों एक जैसे होते हैं, उसी तरफ़ चल पड़ते है जिस तरफ़ की हवा होती है..!!

जय माता दी!!

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