अन्नपूर्णा बाजपेयी  
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Joined 8 April 2020


Joined 8 April 2020

24/04/24******बुधवार

जहर जी भर पिया,
अमृत की परवाह नहीं,
शिव होना आसान कहां?

फूलों की सेज
कितनी सुंदर दिखती है
जाकर पूछना
उन फूलों से
दर्द कितना सहा है।

जख्म भूला ही रहे
अच्छा है ,
वरना जिगर जला देता है।

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16/04/2024*******मंगलवार

गौर वर्ण मां अंबिका, आईं शिव के साथ।
गिरि की तनया आप हो, शंभू हैं तव नाथ।।

नयन प्रेम युत मातु के, ममता का है रूप।
भक्त चढ़ाते चूनरी, और जलाते धूप।।

अष्टम गौरी रूप में, अंब विराजो गेह।
जय- जय कारे लग रहे, हर्षित धरती मेह।।

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14/02/24*****बुधवार***बसंत पंचमी

माघ शुक्ल की पंचमी , आता प्रेम वसंत।
सुरभित चहुँ दिशि झूमती, गृह आए हैं कंत।।

हरी- भरी हैं क्यारियाँ, गमके पुष्प सुगंध।
धरणी अम्बर का हुआ, नेहिल सा अनुबंध।।

पीली सरसों फूल कर, गमक रही मकरंद।
पात - पुहुप सब गा रहे, गीत सवैया छंद।।

ओढ़ चुनरिया आ गई, धरती वधू समान।
काम देव ने छेड़ दी, प्रेम गीत पर तान।।

काली कोकिल के छिड़े, मीठे सुर लय तान।
मदन हृदय अति शोभना, अद्भुत उनके बान।।

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25/01/24******गुरुवार
नगर अयोध्या खिल उठा, लौटे राजा राम।
बाल प्रतिष्ठित रूप में, वंदन आठों याम।।
नयना भर- भर आ रहे, छवि लखि बारम्बार।
रोम- रोम पुलकित सकल, अपलक रही निहार।।
रोम- रोम में बस रहे, मेरे रघुवर राम।
राम लला का दर्श यह, अद्भुत अरु सुखधाम।।
पुलकित नर नारी सकल, राघवमय संसार।
पञ्च शतक के बाद में, आए करुणाधार ।।
दशरथ अरु सब रानियाँ, बैठे बाँह पसार।
लेत बलैया मातु हैं, राजन मुक्ता वार।।
राम - राम उद्घोष से, गुंजित यह संसार।
ऐसा अद्भुत दृश्य यह, देखा पहली बार।।
'आर्या ' तन मन वारती, प्रेम रतन आधार।
चरण शरण में लीजिए, चाहूँ यह उपहार।।

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22जनवरी2024
आज बार - बार आंखे भर - भर आ रही हैं , हृदय है कि भाव विह्वल हुआ जाता है , सिमट नहीं रहा ये पल । विह्वलता आंखों से बह रही है। और हम हैं कि राम नाम रूपी महासागर में गोते लगा रहे हैं। जब भाव और शब्द सधेंगे तब ही अपने भावों को शब्दों का रूप देकर कागज पर उतारूंगी । वो पल वो क्षण भारत ही नहीं पूरा विश्व जीवन पर्यंत नहीं भूल सकेगा।
कुछ चुनिंदा रक्ष कुल के लोगों को छोड़ दिया जाए जो अदभुत नमूने हैं हमारे भारत की धरती पर बोझ !
खैर आज बड़ा ही शुभ दिन है किसी को भी अपशब्द नहीं कहना चाहती ।
मुझे ऐसा लगता है कि जो मेरे मन के भाव हैं उनके लिए ये शब्द बहुत हल्के हैं ।
संभवतः ऐसे ही भाव हर राम भक्त के हृदय में होंगे। क्योंकि कोई भी वह दिन अभी भी भुला नहीं सका हैं जब कार सेवकों पर अधाधुंध गोलियां बरसाई गई थीं। कुछ ने सरयू नदी में कूद कर जान बचाने का प्रयास किया था, किंतु कहां बचा सके थे।मानो जलियांवाला बाग हत्याकांड दोहराया गया हो।
खैर जो हो राम लला का आगमन उन जख्मों पर मरहम जरूर है।
अन्नपूर्णा बाजपेई 'अंजु'

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*22 जनवरी 2024*
दिन - सोमवार
ऐतिहासिक दिन
अविस्मरणीय दिन
स्वर्णक्षरों में लिखा जाने वाला दिन

आ ही गए हमारे राम जी !!🙏🙏🙏🙏🙏


घर आ ही गए हमारे प्रभु श्री राम जी,
दीनन के कष्ट हारी प्रभु श्री राम जी।
मर्यादा पुरुषोत्तम, कहलाए जगत में,
रघुवर प्यारे सियापति हमारे श्री राम जी।।

रचनाकार

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20/01/24****शनिवार

विषय - श्री राम राजतिलक की तैयारी

शुभ मुहूर्त में तय हुआ, रघुवर का अभिषेक।
अवध नृपति मन आंगना, खिला हर्ष अतिरेक।।

सजने लगी अवध पुरी, बांधो वंदनवार।
ढोल नगाड़े बज उठे, हर्षित पारावार।।

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12/01/24******शुक्रवार

बात इंसाफ की कह दूं, तो बुरी लगती है।
सच कह दूं अगर , गर्दन पर छुरी चलती है।।
आज सच कहने पर अति भीषण लड़ाई है।
कुछ न कहना भी तो, यारों बड़ी बुराई है।।
आवाज उठाना जुर्म, सीने पर दुनाली है।
आज सच बोलना खतरे से नहीं खाली है।।

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07/01/24*****रविवार

राम की महिमा
दशरथ नंदन मातु दुलारे।
जगती के तुम हो रखवारे।।
कौशल्या तव मातु कहायी ।
सबको तुमरी कथा सुहायी।।

तुम बिन चैन नहीं कोई पावे।
नाम तुम्हारा दुःख बिसरावे।।
तुम संकट के नाशन हारी।
दया करो प्रभु हो सुखकारी।।

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