हर तरफ़, हर जगह , और मुद्दतों में अपना जुनून ढूंढिए ,
जला सके इस भीड़ में भी समा, तुम ऐसा सुकून ढूंढिए-
हिंदी है अनमोल खज़ाना, हिंदी वतन हमारा है।
हिंदी से पहचान मिली , हिन्दी को हमने जाना है।।
विविधिता भरी इस भारत भू में, सब ने सब कुछ लिख डाला है ।
मैं हिंदी मां का हिंदी बेटा , हिंदी को मातृ बनाया है ।।
कुछ न कुछ का उपहास लिखा , कुछ ने कुछ का उल्लास लिखा
मेरी हिंदी भाषा प्रिय बनी जिसने सबको भ्रात बनाया है
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पिता ने कभी नहीं कहा आज पैसे नहीं है...
मां ने कभी नही कहा आज तबियत खराब है...
भाई ने कभी नहीं कहा ऐ नहीं वो कर लो...
भाभी ने कभी नही कहा मुझे नहीं पता...
तो हम भी कैसे कह दे नही हो रहा है , हम कैसे कह दे अब नही कर पाऊंगा ।
तो फिर हम भी खड़े है हम भी डटे है आज नही तो कल जीत ही जाऊंगा ।।-
फूल की तरह चमका दूं
ऐसी फिजाएं बन जाऊं...
भर दूं तुम में हर फूल की खुशबू
ऐसी हवाएं बन जाऊ...
बनूं तुम्हारे माथे की बिंदी,
गले का हार ,
हाथों की चूड़ियां,
पैरों की पायल...
बस यही इच्छा मेरी की कर सकूं तुम्हारी हर ख्वाहिश पूरी
और बस एक अच्छा इंसान बन जाऊं ...
🥰🥰😘😘🥰🥰-
क्या हो जाता है इंसान को
भूल जाता है अपने आप को
कर देता पल भर में इतनी बड़ी गलतियां
आंखे नहीं मिला पाता अपने आप को-
आज फिर हमारे देश में सरेआम एक वारदात हो गई
धर्म के नाम पर अब ये सब आम बात हो गई
आज कन्हैया तो कल किसी नवी की बारी होगी
आखिर कब तक धर्म के नाम पर दुनिया कत्लेआम होगी
आखिर कब तक ये दुनिया मानवता से शर्मसार होगी....😔
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हर दफे यूं बोलना तुम हो " कौन "
मैं समझ कर भी रहा मौन
मैंने सोचा अपने है ऐसे कहता है कौन
वो निकले हमसे भी ज्यादा जिद्दी
जाते जाते फिर बोले तुम होते ही " कौन "-
मौसम- ए- अल्फाज़ बदले है दिलसाज़ में वक्त तो लगेगा
अफ़साने फिर सुनायेगे , रूठे मुकद्दर के बावजूद
दिल- ए - दिलदार होने में वक्त तो लगेगा...-
क्या है नज़्म , शराफतें वफ़ा क्या है
इस नुमाइंदगी की सज़ा क्या है
गर करे हम भी वही हरकतें
तो कहते है लोग इसे हुआ क्या है-
लिखने को तो बहुत है मगर , क्या करूं...
ये कागज़ की लाइनें भी कम पड़ जाती है
गर लिखूं आसमां पर तो , ये दुनिया ही रूठ सी जाती है
मन में आते तो है कई उन्माद लिखने को...
पर जब भी कोशिश करता हूं तो कलम भी टूट सी जाती है
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