ANMOL YADAV  
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Polite with nature, simple with soul, silent but fights with role...
Joined 22 June 2017


Polite with nature, simple with soul, silent but fights with role...
Joined 22 June 2017
9 DEC 2019 AT 7:10

भूली हुई काहानी

जिसमें खुद के जाने का डर था, किसी के आने और जाने का डर था,
थोड़ा गम था, धुंधली कुछ यादें थी,
किसी से बात करने से भी दिल घबराता था, कोई और मुझे कैसे समझेगा ये डर कभी नहीं सताता था,
किसी को कुछ समझाने का वक्त नहीं था मेरे पास, बस अपने अतित से निकलना चाहती थी मैं बाहर,
मुझे नहीं पता था कि कोई मुझे छोड़ देने के लिए भी डरा सकता था, मुझे कमजोर बना सकता था,
ऐसे लोग नहीं चाहिए थे मुझको जो मेरे अंदर की भी रोशनी ले जाएं,
हाँ पहले लोगों को खोने का डर लगता था, पर अब खुद को खोने का डर है,
कोई मेरे किरदार को कैसे भी पेश करदे मुझे परवाह नहीं,
ना मुझे किसी के सामने सफाई देनी, नाहीं कोई पर्माण,
बस ये ही समझ आया कि मुझे किसी के साथ की जरूरत नहीं थी, बस प्यार के मिठे बोल की थी, अगर मुझे इज्जत मिलती तो मैं इतनी दूर ना होती।।

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9 DEC 2019 AT 6:39

काश ये सफर इतना कठिन और कठोर ना होता ऐ जिंदगी..
तो ना कोई रुठता, ना ही कोई टूटता, ...
बस हर कागज और कलम से,
तेरे लिए मिठी खुशीयों की ही छाप छुटती...

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8 DEC 2019 AT 17:34

इमतीहान देना भी जरूरी था,
अगर ठोकर ना खाते तो उस रब से क्या इंसाफ़ मांगते,
इंसान उसने बनाया है, दर्द भी तो उसी ने दिया है,
मगर पहली बार रब तुझसे गले लगने का दिल किया है,
तेरी हिफाजत में रहने को मन हुआ है,
अब अपने अतीत से शिकवे नहीं, बस तुझसे गिला है,
मुझे बनाके तू कहाँ खो गया है,
हर बार भीड़ में यूँ तुने मुझे ठुकरा दिया है,
मगर मेरे रब मैंने तो हर वक़्त बस तेरा ही नाम लिया है...

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1 DEC 2019 AT 20:36

इतनी हसीन है,
की हकीकतों से सामना करने से,
दिल घबराता है,
वो कांच कमजोर ना पड जाए,
इस बात का ही भय लगता है,
सपनों की दुनिया,....

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1 DEC 2019 AT 14:03

रोशनी अंधेरों में छुपी है ऐसे,
बादलों में चांद जैसे,
बहला फुसला लो जितना भी इनको,
वक़्त आने पे ही, दसतक देते हैं दोनों,
मगर चुभन होती है, उसमें भी किसी को,
जब रोशन किसी का सूना आंगन होता है...

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25 NOV 2019 AT 18:55

हम,
अपना मंजर तूफानों की आड़ में,
मालूम है,
दिल टूट जाएगा हम दोनों की तक्रार से,
फिर भी मंजिल दिख रही है,
उस बादल की ओढ़ में,
आखिर ढूँढने निकले हैं हम,
अपना मंजर तूफानों की आड़ में...

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23 NOV 2019 AT 16:18

नहीं तो तुझमें भी दम था,
सपनो की उड़ान में,
एक बस तू ही तो कम था।।

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18 NOV 2019 AT 22:33

बुरा लगा
उसका हर बार हमको खुदगर्ज बताना,
बुरा लगा
उसका हर बार हमको नीचा दिखाना,
दोस्त माना था उसको दिल से,
उसने जब-जब जो कहा, हर बार अपनी गलती मानके हम चले थे उसके पिछे,
मगर उसने तो हमे खिलोना बना दिया था,
दुनिया के सामने हमे बेइमान बना दिया,
सही समय पे हम नहीं समझ पाए अपनी किमत,
बस इसी बात का हमे खेद है....

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17 NOV 2019 AT 15:53

दुनिया लूट लेती है,
जरुरी नहीं पैसा ही एक इकलौता धन है,
आजकल अक्सर रिश्ते,
और उन पर टिका विशवास लूटते है,
धन का नुकसान फिर भी इनसान महन्त से चुका ले,
पर टुटा हुआ भरोसा चुकाने को कोई साथ नहीं देता,
तब पता चलता है कि तुम पहले भी अकेले थे,
अब भी अकेले हो.....

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30 OCT 2019 AT 22:19

बसेरा है उन मासूम पलों का,
जिसमें अलफाज हमारे थे,
और ईशारे तुम्हारे थे,
"ज्जबात में डूब ना जाना",
ये शब्द बहती हुई धारा के थे,
"गम में खुद को भूल ना जाना",
लहराती हुई तुम्हारी वाणी गुंजती हमारे कानो में थी,
यादों में कहीं हम खो ना जाएं,
रहता यही डर अब हमारे दिल को है.....


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