Anmol Shukla AS   (Âñmól ✍️)
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Joined 10 April 2020


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Joined 10 April 2020
3 AUG 2023 AT 21:02

मैं मैं न रहा कहीं खो गया,
जाने मुझे ये क्या हो गया,

उनसे नजरे यूं जा मिली,
मैं फकत उन्हीं का हो गया,

डुबाने को आतुर था दरिया मुझे,
मैं किसी तिनके सा तैरता रह गया,

तन्हाई में मुझे इक खयाल आया,
उस खयाल में मैं खोया रह गया,

जिंदगी बनाने को निकल आया शहर,
गांव की पगडंडियों पर भटकता रह गया ,

दिल मेरा किसी से लगता भी तो कैसे,
मैं वहीं वादा उम्र भर निभाता रह गया,

उसके वाहवाही ने मुझे 'शायर' बना दिया,
लफ्जों से फनकारी 'अनमोल' करता रह गया

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26 JUL 2023 AT 1:20

उम्र की पड़ाव मुझको थकाने लगी है,
जिंदगी की बोझ पैरो तले दबाने लगी है,

पुराने लम्हों को खुद में समेटे रखा है,
यादें अश्रु बन आंखों में आने लगी है

उससे बिछड़ने का सबब अलग था,
उससे हिजरत मुझे सताने लगी है,

गर उसका ना होता तो मैं किसका होता,
उसकी बाते अंदर ही अंदर खाने लगी है,

वक्त पर 'अनमोल' कब चला है किसका जोर,
भीड़ में भी तन्हाई मेरे अन्दर घर बनाने लगी है

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26 MAY 2023 AT 7:59

अपने पुराने जख्मों को सिलाने आया हूं,
खोकर खुद को दुनियां को पाने आया हूं

बेवफाओं के बज्म मे इश्क का नगमा,
मैं अपने लबों से गुनगुनाने आया हूं।

ख्वाहिशें मुकम्मल हुई न जो तेरी चाह में,
उन सारी ख्वाहिशों को दफनाने आया हूं,

चिट्ठियां जो उल्फतों की नजीर बनी थीं,
उनको अपने हाथों से जलाने आया हूं,

सुनाते है दिन-रात जो बुलंदियों के किस्से,
मैं कब भला अपना मुकाम बताने आया हूं,

उड़ाते हैं जो 'अनमोल' मेरे नाम की खिल्लियां,
उन शख्सियतों को आइना दिखाने आया हूं।
✍️अनमोल शुक्ला यथार्थ

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7 MAY 2023 AT 1:24

काश अपने भी बहारों के जमाने होते,
सारे गम कहीं किसी और ठिकाने होते,

जी भर के खेलते करते हंसी ठिठोली,
गर साथ में अपने दोस्त पुराने होते,

संघर्ष की आग में धधक रही जवानी,
काश काम को टालने के बहाने होते,

श्रृंगार से खूबसूरत नहीं होते किरदार,
वगरना तवायफों के लाखों दीवाने होते,

रईसी से 'अनमोल' हासिल होती जो सुरूर,
मजलूमों के दिलों में रईसों के आशियाने होते।
✍️ अनमोल

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22 APR 2023 AT 11:38

अगर तुम तुम हो जाओ और हम हम हो जाएं,
फिर उलफतों के किस्से शायद ख़तम हो जाएं,

तुम जिद पे अड़ जाओ और हम भी मनाएं ना,
फिर मोहब्बत की दास्तां का सर कलम हो जाए,

गलतियां तुम्हारी है और खामियां मुझमें भी है,
दिल के एहसास कहीं दिल में ही न दफन हो जाए,

तुम्हारे रूठने से गुरेज नहीं पर तुम हमें भी समझो
सच्चाई जान शायद तुम्हारी आंखें भी नम हो जाए,

सुना है ऊंचा मुकाम हासिल किया है इल्म से 'अनमोल'
तुम जो पढ़ सको हमें पवित्र तुम्हारा अंतर्मन हो जाए

अनमोल शुक्ला यथार्थ ✍️



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3 APR 2023 AT 2:02

चैन मिलता नहीं कहीं तुम्हारे सिवा
कोई अपना लगता नही तुम्हारे सिवा,

जाने किसके खयालों में तुम गुम हो,
दिल मेरा लगता नहीं है तुम्हारे सिवा,

तेरी ओर ही बहका चला आऊं मैं,
पग ये उठता नहीं कहीं तुम्हारे सिवा,

पुनम की रात भी स्याह लागे है,
प्रेम दीप जलता नही हैं तुम्हारे सिवा,

फिक्र तेरी रहती है मुझे हर घड़ी,
बेफिक्र रहना मुमकिन नहीं तुम्हारे सिवा,

मेरे इश्क को 'अनमोल' अल्फाज दो,
कोई गीत लिखता नहीं मैं तुम्हारे सिवा।

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22 FEB 2023 AT 13:27

अब पहले जैसी बात नहीं होगी,
खुशनुमा कभी कोई रात नहीं होगी,

तुम्हारे कहने से सब कुछ थोड़ी होगा,
तुम्हारी मनचाही मुलाकात नहीं होगी,

सामाजिक रूढ़ियो का त्यागना होगा,
इश्क में अब जात पात नहीं होगी,

मुमकिन हो तो संभाल लो खुद को,
महबूब के पीठ पीछे घात नहीं होगी,

दिलों से खेलने में सिकंदर हो तुम,
अब की बार हमारी मात नही होगी,

हर बार तुम्हारी चालों में पिट जाऊं,
न मोहरा होगा बिसात भी नही होगी,

मां के दुआओं से है 'अनमोल' रोशन मेरा जहां
तेरी बद्दुआओं से खत्ममेरी हयात नही होगी

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21 FEB 2023 AT 23:36

जिसे चाहा वह मिला नही मुझको
इस बात का भी गिला नहीं मुझको

तुम्हारी आवाज में सातों सुर विद्यमान है,
तुम्हारी आवाज सुरीला नही लगा मुझको,

सुना था बड़ा नाजुक है तुम्हारा बदन का स्पर्श,
जब भी छुआ तुम्हारा बदन कंटीला लगा मुझको,

तुमने जब से किया मुझसे हाथ छुड़ाने का फैसला
शख्सियत मेरी खुद में इक काफिला लगा मुझको,

मेरे दिल को जीतने के अनवरत प्रयास हुए,
मेरे दिल भी एक अभेद्य किला लगा मुझको,

तुमने कहा बेढ़ंगे हैं 'अनमोल' लिबास तुम्हारे,
आईने में दिख रहा शख्स बड़ा सजीला लगा मुझको

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21 FEB 2023 AT 19:53

मुझ पर इक एहसान कीजिए
दिल में जो हैं वो बयां कीजिए

यूं आपका रूठना अच्छा नही,
गलतफहमियों को जुदा किजिए

ऐतबार रखिए आप मुझ पर
गर ना हो तो आजमा लीजिए,

रिश्तों को शूली चढ़ाने से बेहतर,
दो वक्त निकाल मुलाकात किजिए,

हर बार गलती मेरी नही होती,
खुद के गिरेबां में भी झांक लीजिये

नाराजगी वाजिब है आपकी बेशक,
मेरी परिस्थितियों को भी समझा किजिए,

आपके जैसे बड़बड़ा नही सकते हम,
हमारी खामोशियों का लिहाज कीजिए।

कब तक दिल के पिंजरे में कैद रखोगे मुझे
आजाद पंछी है 'अनमोल' अब रिहा किजिए।


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20 FEB 2023 AT 2:36

नाकामियों के दौर से हम गुजरते रहे,
हर इक मर्तबा हम तुम पे मरते रहें,

हमारे वास्ते तुम्हें कभी वक्त न था
हर वक्त हम तेरी राह देखते रहें,

तुमने मस्तियों में गुजारे वक्त अपने,
हम तन्हा सारी रात आंहे भरते रहें,

ख्वाहिशें दिल की मुक्कमल हो न सकीं
तुम महफिलों में हमको रुसवा करते रहें,

हमारे गजल के काफिए में है तुम्हारा नाम,
तुम मेरा नाम जुबां पे लाने से डरते रहे,

सरेआम किया हमने इजहार-ए-मोहब्बत,
तुम्हारें लब सच बताने में भी लरजते रहें
✍️अनमोल शुक्ला यथार्थ


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