सपनों से भरी हुई आँखे थी मेरी खुशियों से भरी हुई मुस्कुराहट थी मेरी सच्ची से भरी हुई कलम थी मेरी क्या तुफान इतना तेज था जो सब ले गया या मेरे हौसले बुलंद नहीं थे
आंसू बह रहे हैं तो बहने दो रोको मत उन्हें पर याद रखना आंसूओ को बहने की इजाज़त भी तब दो जब तुम्हें कोई देखे नहीं कोई तुम्हारे आंसू देखेगा तो कमज़ोर करार करके जाएगा ये तुम्हारी दीवारें कुछ नहीं बोलेंगी, बिना कुछ बोले तुम्हारे दर्द देखेंगी
आज मैं अकेली खड़ी हूं अपने लिए क्योंकि आज मैं कुछ भी नहीं हूं मैं जानती हूं मेरा भी वक्त आयेगा तब सब मेरे पास आयेंगे पर तब भी मैं अकेली रहना पसंद करूंगी क्योंकि, मैं अकेली ही खड़ी थी उस वक्त भी जब मैं कुछ भी नहीं थी।