कोई किस्सा कहानी नहीं है ये, शहादत की बात है
हमें करनी है जो तुमसे वो मुहब्बत की बात है...
उस शख़्स को खुदा मानना कोई गलत बात नहीं
मन साफ हो तो इश्क़ भी इबादत की बात है...
मसला मुहब्बत का नहीं, मसला सारा यही है कि
प्यार व्यार कुछ नहीं, सब आदत की बात है...-
बहुत बहुत धन्यवाद आपका मेरी profile पर आने के लिए...
हाँ ! मैं कोई ब... read more
मौन हो रहा हूँ अब मैं
ज़िंदगी शोर करे जा रही है
इक चिड़िया है और इक दाना भी है
फिर क्यूँ आखिर ये मरे जा रही है
सपनों की ख़ातिर सोये जा रही है
बंस जंग खुद से लड़े जा रही है
चाहतें कहाँ खत्म होती हैं
बस ऐसे ही साँसें चले जा रही हैं
जीते थे जब हम रुलाती थी दुनिया
मरने पे दुनिया रोये जा रही है-
ज़ख्मों पर मरहम लगाना छोड़ दिया है मैनें
हर बात को दिल पर लगाना छोड़ दिया है मैनें
हाँ इंतज़ार तो रहता है बड़ी शिद्दत से उनकी काॅल का
पर खुद से उनको फोन लगाना छोड़ दिया है मैनें
उनके दीदार को तरसती हैं निगाहें हर रोज़ लेकिन
उनके शहर की ओर जाना छोड़ दिया है मैनें
सभी से मिलता हूँ अब मैं, सभी से हाथ मिलाता हूँ
लेकिन किसी से दिल लगाना छोड़ दिया है मैनें-
तुम पानी में भेज रहे थे
तुमने जाल बिछाया था क्या
मुझसे तो सब पूछ लिया था
तुमने कुछ छिपाया था क्या
मैं तो सारी मन की बातें
तुमसे साझा करता था
सारे सुख दुःख, सारी बातें
तुमसे बांटा करता था
तुम्हारे दर्द को अपना समझा
अपना दर्द भी भूल गया
आखिर में इक बात कहूंगा
दिल मेरा भी टूट गया-
तेरे शहर में हर कोई अंजान लगा मुझे
तू खुद कुछ दिनों का महमान लगा मुझे
चर्चा हो रही थी जिसकी हर गली हर मोड़ पर
वो शख्स हद से ज्यादा बदनाम लगा मुझे
और जिसकी आवाज़ पर "अनमोल"
तू भागा चला जाता था
वो दोस्त भी आज बड़ा बेईमान लगा मुझे-
हर दिन जाने क्यूँ बेचैनी में गुज़र रहा है
एक शख्स है जो अपनी बातों से मुकर रहा है
एक परिंदा जो कैद था ना जाने कबसे पिंजरे में
तोड़ कर जंज़ीरों को वो पिंजरे से निकल रहा है
गर्मियों के मौसम में ये ठंण्डी हवा का झोंका कैसा
उनके आने से देखो शहर का मौसम बदल रहा है
उनके आने की ख़ुशी में हम संवरे थे बहुत लेकिन
एक वो है के हर रोज़ ही महफिलें बदल रहा है
तुम नादान हो "अनमोल" तुम कहां कुछ समझते हो
तुम बैठे रहो यहीं और वो ठिकाने बदल रहा है-
सब अन्दर ही रखता हूँ मुझे दुःख बांटना नहीं आया
रात काट लेता हूँ लेकिन दिन काटना नहीं आया
लोगों को परखने में कुछ ज्यादा ही कमजोर रहा मैं
सब अपने ही लगते हैं मुझे गैर छांटना नहीं आया-
हम खुशी से काट लेंगे
गम की आँधी दी है तूने
हम गमों से खुशियां छांट लेंगे
हाँ जख़्म भी तूने दिये बहुत हैं
अब तुझसे गिला भी क्या करना
सारे सुख दुःख सारे शिकवे
खुद ही खुद से बांट लेंगे-