Anmol   (अनमोल)
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मुझसे यूं करते हैँ बात,
मेरे ये जज़्बात...
Joined 22 June 2019


मुझसे यूं करते हैँ बात,
मेरे ये जज़्बात...
Joined 22 June 2019
18 OCT 2022 AT 19:49

• बंदिश •

कुछ कहानियां महज़ स्याही और कोरे काग़ज़ के दरमियां ही सिमट कर रह जाती हैं। अब कैसे लिखा जाए इन्हें, जो ज़ेहन से ज़ुबां तक का सफ़र ही तय नहीं कर पातीं।

शायद कुछ डर, कुछ ऐसा डर की लफ़्ज़ ही काफ़ी न हों सब बयां करने के लिए।
या शायद, उस फसाने के सच हो जाने का डर...

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1 JUL 2022 AT 13:23

• A Cup of Coffee - A Gazal •

A lot can happen over a cup of coffee,
White whisks to bittery buttery brews in a cup of coffee.

Chills of frigid mornings meltdown,
With the warmth of a sip from a cup of coffee

Senses smile, as the aroma of Earth with pouring clouds, 
When mingles with soothing fumes from a cup of coffee.

'Just a cup of coffee', with this sentence,
More than 'just friends' confess, over a cup of coffee.

Ingrained in laziness or projects on deadline,
One propels when fed with a cup of coffee.

Repressed with anxiety, when the mind endures,
The magical wand of therapy turns out in a cup of coffee.

Why am I so obsessed with this cliched beverage?
Cuz, a lot can happen over a cup of coffee.

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3 JUN 2022 AT 11:22


• ज़िंदगी की कहानी •

कब, कहां,
नजाने कैसे शुरू हुई?
ये ज़िंदगी की कहानी.

अब, यहां,
बस यूं ही लिख रहे हम.
ये ज़िंदगी की कहानी.

कब, कहां,
नजाने कैसे खत्म होगी?
ये ज़िंदगी की कहानी.

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19 MAY 2022 AT 17:53

• एक सा, पर अलग अलग •

एक ही जिंदगानी सबकी,
कहानी एक सी, तक़दीर अलग।

आईने के अक्स में दिखते,
चेहरे एक से, तस्वीर अलग।

//read in caption//

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18 MAY 2022 AT 9:08

हमने बीते लम्हों का हाथ थामे रखा,
और वक्त गुजरता रहा.

एक अरसा था जैसे पल में बीता,
और वक्त गुजरता रहा.

खुशनुमा था ये वक्त,
और ये वक्त ही गुजरता रहा...

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17 MAY 2022 AT 15:11

उलझी हुई ख्वाहिशों की डोर सुलझा कर,
चलो, एक ख़्वाब बुनते हैं.

सुकून तो मेहमान पल भर का,
आज हम इज़्तिराब चुनते हैं.

एक ख़्वाब बुनते हैं...

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17 APR 2022 AT 19:45

कैसा रब्त था उन लम्हात से,
कि हमने माज़ी का हाथ थामे रखा

और वक्त गुज़रता रहा...

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10 APR 2022 AT 23:26

कई मर्तबा,
कलम कुछ इस तरह चलती है,
कि स्याही की परत से पन्ने भारी

...और मन हल्का हो जाता है।

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13 JAN 2022 AT 22:45

जहाँ उन्वान को हयात मिले,
हम सुनेंगे उस आवाज़ से...

जहाँ इंकलाब की बात छिड़े,
हम सुनेंगे उस साज़ तक।

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7 JAN 2022 AT 19:41

• Solitude •

Staring at blank wall
to read
the spaces within.

-Anmol

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