Anmol Bajaj  
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Joined 10 October 2021


Joined 10 October 2021
3 MAY 2024 AT 14:40

जानता है खुदा लाए है हम तुम्हें अपनी ज़िमेदारी पर
इक तेरी खुशी के लिए सर भी झुका लेंगे तेरे पापा के पैरों में जान

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2 APR 2024 AT 17:43

नासमझ इश्क़ न देखे ऊच नीच न देखे उम्र...
एक बार जो नज़रें मिली तो इश्क़ को ही खुदा माना

दिखता चारों और बस इश्क़ ही इश्क़...
बे वजह दिल गुनगुनाता रहता ओर होठों पे छाई मुस्कान

दिल ढूंढता रहता है मिलने के बहाने तो...
नज़रें तरसती दीदार को जो अनगिनत ख़्वाब सजाए बैठी

हुआ न इश्क़ का मिलन तो मूंह मोड़ लिया दुनियां से...
नासमझ इश्क़ नासमझ ही रह गया इश्क़ की गत्थी कोई न सुलझा पाया।

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2 APR 2024 AT 15:41

गांव की बहु बेटियों को पढ़ने का ज्यादा अधिकार नहीं
हमारा मैडम साहिबा बनने का सपना
पुरा करने के लिए पिया हमारा बन बैठा चौकीदार

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1 APR 2024 AT 19:57

ऐ मेरे हमदम तेरे हिज्र में हो गए हम ख़ामोश
ऐ मेरे हमदम हर पल सोचा करते है हम आपको

ऐ मेरे हमदम तेरे हिज्र में तन्हाई काटे न कटे
जुबां है ख़ामोश तो कमल का सहारा ले लिया

आप का गुस्सा भी हमने सर आंखों पर रख लिया
ऐ मेरे हमदम जितना जानते है हम आपको
उतना तो आप ख़ुद को भी नहीं जानते

ऐ मेरे हमदम गर हो न विश्वाश तो हर एक
वर्क पड़ लीजिए हर वर्क के एक एक अल्फाज़
में सिर्फ़ और सिर्फ़ आप का ही जिक्र है।

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25 MAR 2024 AT 19:04

दोस्त संग रंगना था होली के रंगों में,
दोस्त बिन हर रंग फीका लगे,
होली के रंग में रंगा हुआ है हर कोई
पर ये दिल हमारा बेरंग सा हो गया है दोस्त के बिना।

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25 MAR 2024 AT 14:03

राधा संग श्याम रंग
राधा संग श्याम खेले होली
संग राधा रंग गया श्याम भी
राधा रानी मुस्काए मंद मंद
तो श्याम भी शेडे राधा रानी को

राधा श्याम रंग गए ऐसे रंग में की
बिछड़ कर भी एक कहलाए
गीता में ना उल्लेख राधा रानी का
पर सारा जग राधा श्याम की धुन गाए।

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24 MAR 2024 AT 14:13

ज़िंदगी के रंग हज़ार

ऐ खुदा तेरा शुक्रिया की तुमने इंसानी चोला है बक्शा
ऐ खुदा खुशी में तेरा शुक्राना भूल गए
पर गम में फ़रियाद की है पल पल
कभी खुशियों से धामन भरा तो
कभी अनगिनत गमों का पिटारा मिला,

ज़िंदगी कभी है रंगीन तो कभी सफ़ेद चादर सी
ज़िंदगी के हज़ार रंगों में रंग दो खुद को ऐसे
जैसे मस्त मौला सी लगे ज़िंदगी।

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23 MAR 2024 AT 21:23

गम का क्या है
वो तो आते जाते रहेंगे
ये ज़िंदगी है चार दिन की प्यारे
तुम खुल के मुस्करा कर जी ले प्यारे

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23 MAR 2024 AT 21:12

दिल चाहता आशियाना था...
पर क़िस्मत का बंद ताला था...
चाहत भला कैसे पुरी होती हमारी...
बीच राह पर तड़पना लिखा था..
ना चाहत पुरी हुई ना आशियाना मुकमल...
दिल की चाहत बंद ताले में लटकती रही।

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23 MAR 2024 AT 15:02

मेहनत रंग लाएगी
चलो उठो न यूं तुम हिम्मत हारो
है राह पथरीली तो क्या हुआ
बड़ाओ अपना आत्म विश्वास
चलो उठो न यूं तुम हिम्मत हारो

होगा मुश्किल पत्थर की राह पर चलना
एक एक क़दम तुम विश्वास से आगे बढ़ना
डट कर मुकाबला करना हर अंधेरी राह का
चलो उठो न यूं तुम हिम्मत हारो

अड़ा रहा जो तु ज़िद्द पर अपनी
चमकेगा तेरी क़िस्मत का तारा
होगी वाह वाह जग में चलो उठो
न यूं हिम्मत हारो की मेहनत इक दिन रंग लाएगी।

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