शामें बीत रहीं है दिल को समझाने बुझाने में,कि उस मुसाफ़िर का आख़री पता मैं न था। - अंकुश तिवारी
शामें बीत रहीं है दिल को समझाने बुझाने में,कि उस मुसाफ़िर का आख़री पता मैं न था।
- अंकुश तिवारी