Ankush "मतवाला"   (मतवाला)
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Joined 8 April 2018


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7 AUG 2022 AT 18:19

बहन को राखी खास होती है
तो भाई को भाईदूज की आस होती है

राखी पर बहन भाई के घर जाती है
तो भाई दूज पर भाई को अपने घर बुलाती है,

राखी पर आगमन से घर की रौनक बढ़ाती हैं
तो भाईदूज पर भाई के लिए घर सजाती हैं ,

राखी बहन का महत्व सिखाती है
तो भाईदूज भाई का आवश्यकता समझाती है।

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13 MAY 2021 AT 16:31

यहां किश्तों‌ में जीना
है जिंदगी,
हंसना भी यहां उधार का है,
रोना भी इजाजत लेकर पड़ता है,
यहां कोई कहां अपना हैं,
और हम तो किराएदार हैं अपनों के,
जी रहे जो सपने वह हर सपना किसी और का हैं,
जहां रूह तक अपनी नहीं हुई,
वहां शरीर कहां अपना हुआ हैं,
चल छोड़ इन बातों को 'मतवाला' यहां कौन क्या और कब अपना हुआ हैं।

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12 DEC 2021 AT 16:04

प्रशासनिक पद प्रतिष्ठा और सम्मान दे ना दे परंतु अहंकार अवश्य दे देता है।।
कहना गलत नहीं होगा परंतु

"प्रशासनिक पद और अहंकार का चोली दामन का साथ है"।

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29 OCT 2021 AT 10:02

The only female that can gives you true love is none other than your mother.

All remains are fake and self centered.

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24 OCT 2021 AT 10:57

चावल उछाल बिना पीछे देखें विदा हो जाती हैं
अजी बेटियां ना जाने कब पराई हो जाती है।
तन पर हल्दी-हाथों में मेहंदी-पांव में महावर रचाए विदा हो जाती है,
अजी बेटियां ना जाने कब पराई हो जाती है।
बुक्शेल्फ में अपने नाम लिखी किताबें दीवार पर अपने नाम लिखी पेंटिंग छोड़े जाती हैं,
अजी बेटियां न जाने कब पराई हो जाती है।
सारे घर को सर पर उठा लेने वाली वो राजकुमारी,
शादी के बाद मेहमान बन कर आती है।
अजी बेटियां न जाने कब पराई हो जाती है।
मायके में 10 फरमाइशी करने वाली,
ससुराल में ना जाने क्यों एडजस्ट कर जाती हैं
अजी बेटियां ना जाने कब पराई हो जाती है
भूख लगने पर मां-मां का शोर मचाने वाली
ससुराल में न जाने कैसे सारे व्रत उठाती है
अजी बेटियां ना जाने कब पराई हो जाती है।
मायके में जरा सी चोट लगने पर जोर जोर से चिल्लाती है
ससुराल में ना जाने वह कैसे तकलीफ झेल भी चुप रह जाती है
अजी बेटियां ना जाने कब पराई हो जाती है।।

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19 MAY 2021 AT 17:02

माना कि संखिया विष सद्यः प्राण हर होता है परंतु "अपमान का घूंट"वह विष है जो व्यक्ति को शनै शनै अंदर से मारता है|

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18 MAY 2021 AT 15:22

हासिए पर आ खड़ी हुई है एक तरफा मोहब्बत मेरी,
अब ना आगे बढ़ने की हिम्मत है,
ना पीछे मुड़कर देखा जा सकता है।

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17 MAY 2021 AT 22:18

शस्त्र उठा लो द्रोपदी अब केशव कहां आएंगे,
अपनी लड़ाई खुद ही लड़नी हैं, इंसाफ की आस अब किससे लगाएंगे,
अस्मिता तुम्हारी भंग हुई पर न्याय मांगोगी तो लोग तुम्हें ही लजाएंगे,
पापियों ने लुटी है इज्जत सिर्फ एक बार,लोग तुम्हें बारम्बार निर्वस्त्र कराएंगे,
दानव बनकर देवता तुम्हें संस्कारों का पाठ पढ़ाएंगे,
दुनिया वाले दुर्योधन दुशासन को ही मोहन बताएंगे,
शस्त्र उठा लो द्रोपदी अब केशव कहां आएंगे।


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14 MAY 2021 AT 23:00

कुछ ज्यादा ही नाज़ुक निकला दिल मेरा,
अपनों की बातों की ज़रा सी ऑंधी क्या चली,
मेरा पूरा वजूद निस्तेनाबूत हो गया।

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14 MAY 2021 AT 18:34

मैं मर्द हूं,
मैं रो नहीं सकता,
ज़माने ने मुझे यही सिखाया है
हम मर्द जाति हैं,
मजबूत होते हैं, कठोर होते हैं,
हृदय की जगह पत्थर बांधे घूमते हैं
लेकिन सुनी है कभी तुमने
हमारी बातें , हमसे ही,
मैं मां के आंचल में लिपट कर अब
सुकून से दो पल उसे अपने दिल का हाल बता भी नहीं सकता,
वो भले ही सब जानती है,
डर है कि कहीं पलकों के किवाड़ों से कोई बात टपक ना जाए,
बरबस ही कहीं ऑंसू छलक न जाएं,
क्योंकि,
मैं मर्द हूं,
मैं रो नहीं सकता।

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