Ankush Khurana   (ankhu©)
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Joined 4 October 2018


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7 NOV 2024 AT 21:08

उम्मीदों का बोझ उतार कर तो देखो जनाब,
रिश्ते निभाना आसान हो जाएंगे।

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14 APR 2024 AT 21:06

Sometimes being looser is a winner

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7 MAR 2024 AT 9:41

टूट गया कुछ
छूट गया कुछ
जो बचा कुछ
उसमें रूठ गया कुछ
कुछ पाने की ख़ातिर
छोड़ दिया बहुत कुछ
वो कुछ भी आख़िर चला गया
जब नही था बहुत कुछ

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6 MAR 2024 AT 21:52

जानता है हर वो आशिक़
जो अपने इकतरफ़ा इश्क़ का
इज़हार भी ना कर सका

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6 MAR 2024 AT 21:47

जाने कैसी मजबूरी है ।
बेच रहे रोज ज़मीर को यूं
क्या पैसा इतना जरूरी है ।।

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2 MAR 2024 AT 21:10

इक आवारा अंतर्मन की पीड़ा को,
मरहम लगा के मिटाये कौन ।
बारिश की भीगी लकड़ी से,
घर का चूल्हा जलाये कौन ।
है टूट गया ये दिल अकेला
रूठे चेहरों को मनाये कौन ।
जल रही इस दुनियां में,
दूसरे घर की आग बुझाये कौन ।

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28 FEB 2024 AT 21:31

वो तो मौसम थोड़ा सर्द है ....
वर्ना कमबख्त धूप किसे पसंद है

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19 AUG 2021 AT 17:29

किसी के आ जाने से ना दिन होता है
ना किसी के जाने से रात होती है
गजब तमाशा है दुनियाँ का
यहाँ सिर्फ पैसे से बात होती है

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22 DEC 2021 AT 13:46

शाम के है ठिकाने कई
किसको मनाऊँ किसको नाराज़ करूँ

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30 SEP 2021 AT 10:03

आयी थी उम्मीदे भी दहलीज पर हमारी
ना जाने क्यों हमने दरवाज़े ही बंद कर दिए

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