Ankush Jain   (अंकुश जैन 'मानस')
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Joined 3 April 2018


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31 AUG 2024 AT 9:18

खिड़की और दरवाजे,‌ अच्छे से बंद कर लेना
मैं ऑफिस जा रहा हूं,
अपनी पत्नी‌‌ से कहने वाला पति
एक स्वतंत्र देश का स्वतंत्र नागरिक है।

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24 AUG 2024 AT 12:19

नींद ना आए तो
करवटें बदलते रहते हैं
कुछ अंधेरे हैं मेरे मन में
जो फिक्र का बोझ लिए
बस टहलते रहते हैं ।

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9 JUL 2024 AT 7:42

मुझे तुम्हारे हिस्से का वो आसमान बनना है
जिसे तुम हर रोज़ खिड़की से देखती हो ।

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8 JUL 2024 AT 8:43

अतीत हमारे पिता जैसा होता है
जो हमें हमेशा खुद से,
बेहतर देखना चाहता है ।

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9 DEC 2023 AT 15:07

मेरी कविताओं में नजर आने लगीं हैं
तुम्हारे हाथों की रेखाएं,
मिलना तुमसे असल‌ ज़िंदगी में ना सही 
मेरे लिखे में तो संभव है ।

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5 DEC 2023 AT 20:52

जिस दिन इस संसार में
कविताएं लिखना बंद हो जाएंगी
उस दिन प्रेम का मर जाना तय है।

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31 JAN 2023 AT 19:29

पुराने घटे हुए को फिर से जी लेना,
यादों के तालाब में डुबकी लगा लेने जैसा है ।

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19 APR 2022 AT 8:08

एक उम्र आती है, जहां आपको लगता है
प्रेम छिछलापन है, व्यर्थ है,
तो वो कुछ भी हो सकता है,
परन्तु प्रेम नहीं ।

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6 APR 2022 AT 22:27

तुम
(Read In Caption)

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5 APR 2022 AT 22:01

जीवित हो उठती हैं मेरी कविताएं,
जब भी मैं तुम्हें याद करता हूं,
पर एक कविता नहीं लिख पाया आज तक
कि मैं तुमसे कितना प्यार करता हूं ?

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