तुला लाडात बघता......
तुला लाडात बघता , तुझे लाड़ पुरविण्या
तुला ओंजळीत घेऊन तुझे गोडवे गाइन l
तुझ्या पापण्यात पानी जवा येईल साजनी
सौदा देवाशी करुन , स्वता गहान राहीन l
जरी आला काळ कधी तुला माझ्या आधी नेण्या
उभ्यl काळाशी भीड़न्या मि एकटा जाइन l
तुझ्या मिठित राहन्या , सदा सर्वदा नेहमी
करून नवस देवाचे , चार फुले मि वाहिन l
जरी भेटलीस ना तु माझ्या उभ्यl जन्मामधि
पुढचा घेऊनिया जन्म तुझी वाट मि पाहिन l
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मैं रोता हु अकेले , तुम्हारी कड़वी बातो की वजह से
मग़र तुम्हे इसकी खबर नही
मैं कोई पत्थर नही।
क्यों पूछती हो मेरे स्वभाव के बारे में किसी और से
क्या तुम पर मेरा असर नही?
मैं कोई पत्थर नही।
मुझे बस तुम्हारे शरीर की भूख हैं पर ऐसा तो नही
तुम बिन मेरा कोई शहर नही
मैं कोई पत्थर नही।
ऐसे तो नही पेश आते है , जैसे हम दोनों रहते हैं
क्या रिश्तो में थोड़ा भी सबर नही?
मैं कोई पत्थर नही।-
कोणता मानु चंद्रमा , भू वरिचा की नभिचा
तुजला पाहता वाटे जनु तूच अंश तयाचा।
अधर ही भासे मज तूझे 'कमळ' पाकळया
रूप ऐसे तुझे बघता , चुके ठोका हृदयाचा।
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तुझी छवि...
तुझी छवि दिसता माझी कळी खुलते
ओसाड़ भुईवर जसा मोगरा फूलते।
फूलते मोगरा अन कोकीळही गाते
तुझी स्वप्ने येती जेव्हा पहाटे पहाटे।
पहाटे पहाटेच तेव्हां धुके ही दाटते
गुलाबी थंडी मधे तुझी आठवण येते।
आठवण तुझी येता मग एकटे वाटते
मुका मार तेव्हा माझे हृदय सोसते।
माझे हृदय सोसते आता विरह बोचते
प्रीत दुःखदायीं , प्रीत लचके तोड़ते।-
अब बताओ , कोई कैसे अपना हाल खोले
वो जादूगरनी हैं , हम कैसे अब मलाल खोले।
हमने जब शिकायत के लिए अपनी पहल की
उसने भाँप लिया औऱ भीगे अपने बाल खोले।-
ईशारा जब सामने से हो तो कोई ना कैसे कर सकता हैं
मोहोब्बत की यु तौहीन भला दिवाना कैसे कर सकता हैं।
मेरा तजुर्बा कह राहा की "कुछ" बात तो जरूर हुई होगी
वर्णा ऐसी ठंड में तुझे वो पसीना-पसीना कैसे कर सकता हैं।
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उसे पता नही मेरी बातों का मतलब क्या होता हैं
उसे पता नही मेरे शायरी का सबब क्या होता हैं।
अरे तुम देखो तो सही एकदफा आईने में खुदको
तुम्हें पता चलेगा कि दुनिया मे गजब क्या होता हैं।
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उसका मुझसे खफा ही रहने का इरादा हो न जाए
आज फिर कहि दाल में नमक ज़्यादा हो न जाए।
कोई जाकर समझाए उसे वरना इक बात तो तय है
बिस्तर का हिस्सा भी कहि आधा-आधा हो न जाए।-
उस इक शख़्स के खातिर पंगे हजार लिए हैं
मोहब्बत में हमने भी खुदपर अंगार लिए हैं।
फिर उस गली से गुजरना हैं अब उसके ख़ातिर
जिस गली से कुछ रुपये कल उधार लिए हैं।-
इश्क में नया हू , पर इतना मैं जानता हूँ
उसके मिज़ाज की बारिकियों को जानता हूँ
उसने जो फूल गूँथे हैं आज अपने बालों में
आज वो बेहद खुश हैं ये बात मैं जानता हूँ।
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