मुझे मेरे अलावा और कहां कोई संभाल पायेगा
कई दफा तो मैं खुद इसमें नाकामयाब रहा हूं....-
तुम्हारा न होते हुए भी
सिर्फ तुम्हारा होना,
इश्क है..
तुमसे दूर रह कर भी
तुम्हारे ही क़रीब रहना,
इश्क है...
उम्मीद टूट जाने पर भी
सिर्फ तुमसे ही उम्मीद करना,
इश्क है...
तुम पर मरते हुए भी
तुम्हारे लिए ही जिये जाना,
इश्क है ।-
तेरी बुराइयों को हर अख़बार कहता है,
और तू मेरे गांव को गँवार कहता है //
ऐ शहर मुझे तेरी औक़ात पता है //
तू चुल्लू भर पानी को भी वाटर पार्क कहता है //
थक गया है हर शख़्स काम करते करते //
तू इसे अमीरी का बाज़ार कहता है।
गांव चलो वक्त ही वक्त है सबके पास !!
तेरी सारी फ़ुर्सत तेरा इतवार कहता है //
मौन होकर फोन पर रिश्ते निभाए जा रहे हैं //
तू इस मशीनी दौर को परिवार कहता है //
जिनकी सेवा में खपा देते थे जीवन सारा,
तू उन माँ बाप को अब भार कहता है //
वो मिलने आते थे तो कलेजा साथ लाते थे,
तू दस्तूर निभाने को रिश्तेदार कहता है //
बड़े-बड़े मसले हल करती थी पंचायतें //
तु अंधी भ्रष्ट दलीलों को दरबार कहता है //
बैठ जाते थे अपने पराये सब बैलगाडी में //
पूरा परिवार भी न बैठ पाये उसे तू कार कहता है //
अब बच्चे भी बड़ों का अदब भूल बैठे हैं //
तू इस नये दौर को संस्कार कहता है //
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तेरे चेहरे में मेरा नूर होगा…
फिर तूँ ना कभी मुझसे दूर होगा
सोच क्या ख़ुशी मिलेगी जान उस पल…
जिस पल तेरी माँग में मेरे नाम का सिंदूर होगा..!-
छोड़ कर जाऊं तेरे शहर की गलियां कैसे
दिल यहां, रुह यहां, जिस्म यहां, जान यहां !❤️-
क्या करूं ऐसा कि तुम मेरी हो जाओ ,
कौन सी मस्जिद में करूं सजदे
कि कौन से मंदिर में माथा टेक आऊं,
कौन से पेड़ से बांधू धागे या कौन से कुएं में मन्नत लिख तेरा नाम फेंक आऊं,
और एक रोज बजे मेरे दरवाजे की घंटी,
तुम किचन से कहो अजी सुनते हो खाली हो तो देख लो या फिर मैं देख आऊं ..!!
#हीरोईन❤️-