Jhuki si rhti h najre tere samne
Tujhe dekh kr sajda krti h
Kya kru me tum hi btao
Dekh kr tumko ye aankhein
'Kafir Ishq byan krti h
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Poetry is hobby
कभी कोई दर्द बन के आंसू छलक जाता है।
तो कोई कभी बन ... read more
तू जिन आंखों से दुनिया देखती है
मैं उन आंखों में दुनिया देखता हूं।
तू जिस गोद में दुनिया सहेजती है
मैं उस गोद को दुनिया समझता हूं।।-
उसने देख कर मुझे, पलकें जो झुकायीं
पल में दिन से रात हो गयी।
घोली उंगलियों से जो चीनी उसने
रूह-अफज़ा शराब हो गयी।।-
इस जहां की फितरत तो समझ 'काफिर
झिलमिलाते सितारों से कोई वास्ता नहीं
और टूटते हुओं से मन्नत मांगा करता हैं।।-
मुक्कमल हुईं जो कहानियां,
कब की खत्म हो गयीं ।
अधूरे इश्क की यादें 'काफिर
आज भी वादियों में हरी हैं।।-
मेरी यह कहानी उतनी ही सच्ची
जितने प्रेम में आंसू और रतजगे।
और उतनी ही झूठी भी
जितने प्रेम के कसमे-वादे।।-
मैं गरीब कैसे इश्क करूं तुम जैसे अमीरों से
ऐसे ही कई रांझे बिछड़े अपनी हीरों से।
मुझे तुम पर अब बाकी इख्तियार नहीं
बाकी जो कुछ बचा 'काफिर वो भी प्यार नहीं ।।-
अगर मैं चाहता तो टांग देता
सूरज को तुम्हारे माथे पर बिंदी की तरह
मगर मैं जमाने में अंधेरे के खिलाफ हूं।।-
एक प्रश्न की कठिनाई
उसके उत्तर के निर्माण में तब तक बाधा उत्पन्न नहीं करती जब तक प्रश्न के संदर्भ और पूर्व तथ्यों को नकारा ना जाए ।।-
आज कल तुम्हारी यादों के पत्थर सीने को छलनी किया करते हैं।
पता नहीं क्यों कमबख्त़ तुमने मेरे दिल को कश्मीर बना रखा है।।-