Ankur Sahu   (Ankur sahu)
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Joined 2 September 2019


Joined 2 September 2019
26 APR 2021 AT 11:57

इधर शव जल रहे है
उधर भाषण चल रहे है
महामारी पर चंद सवाल
आका को खल रहे है
नया किला जीतने के लिए
अरमान मचल रहे है
ऑक्सीजन नहीं है
प्राण निकल रहे है
टीका महोत्सव के
सुझाव चल रहें है
शमशान गुलजार है
घर दहल रहे है
साहब बेफिक्र है
आंकड़े बदल रहे है
क्या वे इंसान है?

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25 JAN 2021 AT 6:42

रिश्तों को वक्त दीजिए
ना कि बड़े बड़े तोहफे.,

क्योंकि ताजमहल को दुनिया ने देखा है
मगर मुमताज ने नहीं....!

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10 NOV 2020 AT 16:40

परिंदों को मंजिल मिलेंगी यकि
उनके पर बोलते हैं...
अक्सर वो लोग खामोश रहते हैं
जिनके हुनर बोलते हैं।

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10 NOV 2020 AT 16:36

यह बात पक्षपात की है या कुछ और बात है
कोई लड़का अच्छा दिखे तो अच्छा है .
और कोई लड़की अच्छी दिखे तो ..
variety of najro ka adda .

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28 JUN 2020 AT 20:18

1234mayea ki jai jaikar

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23 JUN 2020 AT 6:30

पिता रोटी है, कपड़ा है, मकान है,
पिता नन्हे से परिंदे का बड़ा आसमान है
पिता है तो घर में प्रतिपल राग है
पिता से मां की चूड़ी बिंदी और सुहाग है
पिता है तो बच्चों के सारे सपने अपने है
पिता है तो बाजार के सारे खिलौने अपने है

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25 APR 2020 AT 17:18

ऐसे बुरे फंसे हैं की नानी याद आ गई
मम्मी तेरी मम्मी की सारी कहानी याद आ गई
अब पराए शहर में बैठकर बस सांस लिए जा रहे हैं
मम्मी तेरे खाने के सपने दिन रात आ रहे हैं
अब खुद से बनाना पड़ता है तो सोचता हूं मैं
अब देख परदेश ने क्या हाल कर दिया
इस लॉकडाउन ने तेरे राजा बेटा को निडाल कर दिया
बर्तन माजना क्यू नही सिखाया मां तूने
ये पंखा भी गंदा होता है ये राज़ क्यू नहीं बताया मां तूने
हर रोज किचन में नए तरीके से आग लगा लेते है
हाथ पकड़ कर रोटी बेलना क्यू नही सिखाया मां तूने
कभी दाल जलाते है तो कभी सैंडविच बनाते हैं
सोचते है कितने खुशनसीब हैं वो लोग
जो इन दिनों में अपनी मां के हाथ का खाते है
बताना चाहिए था कि ठंडी रोटियों पे घी फैलता नहीं
बताना चाहिए था कि चार दिन पुराना खाना ये बदन झेलता नहीं
तेरे खाने की खुशबू रह रह कर आती है
तुझे कभी थैंक्यू यू नहीं बोला ये बात सताती है
तेरे हाथों में जादू है दुनिया की बेस्ट इंसान है तू
कभी फोन पर नहीं बोल पाया पर जमी भगवान है तू



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25 APR 2020 AT 16:30

लम्हों की लापरवाही में
जिंदगी भर का रोना हो गया
सोचते रहे वो प्यार का बुखार है
और गालिब को कोरोना हो गया

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23 APR 2020 AT 8:44

मंजिलों से क्या शिकायत करनी
जब अपनों ने ही रास्ते बदल दिए
सुना है बहुत पढ़ी लिखी हो तुम
कभी वो भी पढ़ो जो हम कह नहीं पाते ..

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22 APR 2020 AT 15:30

मुझे जिंदगी का इतना तर्जुबा तो नहीं 
पर सुना है सादगी में लोग जीने नहीं देते...

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