Ankur Navik   (Ankur Navik)
66 Followers · 13 Following

Joined 7 October 2018


Joined 7 October 2018
23 APR AT 18:52

राम सिया तो अंदर है,
बाहर से हम बंदर है।

दाएं हाथ में फूल लिये,
बाएं में पीछे खंजर है।

बहे तो आंसू नदिया है,
रुके तो एक समुंदर है।

शब्द सत्य का तांडव है,
कलम में बैठे शंकर हैं।

-


22 APR AT 9:44

हाथ में हमरे जाम नहीं,
ऐसी तो कोई शाम नहीं।

राम से फ़कत सियासत है,
सियासत में कोई राम नहीं।

अब कर्ज़दार भी कहते हैं,
उन को हम से काम नहीं।

सच मानो सब कायर हैं,
शायर जो बदनाम नहीं।

माँ- बाबा के चारों पग,
क्या वो चारों धाम नहीं।

बदनामो- कम नाम सही,
पर 'अंकुर' गुमनाम नहीं।

-


20 APR AT 23:48

हमरी जय-जैकार नहीं,
क्यों कि चाटुकार नहीं।

वोट की चाबुक मारो रे,
इससे घातक वार नहीं।

चाहे गधे को शेर कहो,
यहाँ पे खम्भे चार नहीं।

नल नील संग राम कहाँ,
भव सागर से पार नहीं।

रथ हाँके जो पग धोये,
कान्हा जैसा यार नहीं।

-


24 FEB AT 14:47

जाने कितने मील गया,
वो सूरज को लील गया।

मेरी उड़ान पर बोले सब,
बुझा हुआ कंदील गया।

तन की हॉल तो बढ़िया है,
मन का कमरा सील गया।

अब भी दर्द का आलम है,
फक़त बदन से नील गया।

एक पतंग पर गंगा लिख,
शिव भी देता ढील गया।

'अंकुर' के अल्फाज़ हैं या,
ताबुत में कोई कील गया।

-


27 JAN AT 12:50

कैसी राह दिखाई है,
आगे गहरी खाई है।

जो नाली में डूबा है,
वो ही मेरा सांई है।

तुम्हरा चना चबैना है,
हमरी पाई- पाई है।

कैसे कुंभ नहाओगे,
क्षिप्रा में तो काई है।

हम जंगल के बंदर है,
महलों में आग लगाई है।

तुमने बात बढ़ाई थी,
हमने बात बनाई है।

उस राधा के दर्पण में,
कान्हा की परछाँईं है।

-


26 JAN AT 21:21

कैसी राह दिखाई है,
आगे गहरी खाई है।

जो नाली में डूबा है,
वो ही मेरा सांई है।

तुम्हरा चना चबैना है,
हमरी पाई- पाई है।

कैसे कुंभ नहाओगे,
क्षिप्रा में तो काई है।

हम जंगल के बंदर है,
महलों में आग लगाई है।

तुमने बात बढ़ाई थी,
हमने बात बनाई है।

उस राधा के दर्पण में,
कान्हा की परछाँईं है।

-


21 JAN AT 20:25

मैं जब हुआ तो खुदा हुए,
मैंने मूरत सब की ढाली है।

-


21 JAN AT 11:34

जब तक वो चौराहे पे नंगा न कर दे,
तू धर्म की अफीम के ही मद में रह।

-


9 DEC 2023 AT 21:46

उन भभकियों से डरा भी नहीं,
गीदड़ से हाथी मरा भी नहीं।

जेबें जो खाली थी मयखाने पर,
साकी ने जाम भरा भी नहीं।

सच को कहेंगे यूँ सच की तरह,
हम को तमीज़ ज़रा भी नहीं।

-


1 DEC 2022 AT 1:54

ख़ालिस नोटों से क्या खरीदेगा तू,
तेरी सोच के तो मैं दाम पे नहीं हूँ।

-


Fetching Ankur Navik Quotes