रामायण महाभारत सिखाता है कि ये महत्वपूर्ण नहीं हैं कि
आपके अपनों ने आपके जीवन का क्या निर्णय लिया
महत्वपूर्ण ये है की उनके लिए फ़ैसले आपने कैसे स्वीकारे
फिर वो माता केकइ के द्वारा राम को वनवास
या फिर माता गॉंधारी के द्वारा कृष्ण को कुल विनाश का श्राप-
वो तैरते तैरते भी डूब गए जिन को खुद पर गुमान था
किंतु वो डूबते डूबते भी तर गए जिनपे तू मेहरबान था-
Bekar h meri dincharya se phir bhi
hr chiz ka khyal rkhti h wo
Kaya khaya kya na khaya
hr din ek hi swal krti h wo
Dhan se rhiyo aur ha savdan bhi
Aj bhi apne bache ki trh btati h wo
Chla aata hu jb ghr se dur me to
mere lotne ka intzar krti h wo
Khushnuma h din mera
khubsurat ye rat h
Kyu wyat chinta krti h MAA
Teri dua aur tera aashirvad
Pal pal mere sath h
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हमने में कहा आज तक तेरी अन रातों की नीद से खेला है
तेरी उस बेहिसाब महोबत को कहा तराजू में तोला है
फासले दूरियां मजबूरियां बहुत हे तेरे मेरे बीच
इन सफर में तू ही नहीं एक तनहा दिल भी अकेला है
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उन बेजान गलियों में ये कोई हवा का झोका हैं
आज तेरी इबादत है या फिर से धोखा है-
हरे भरे पेड़ो से भरी उस सड़क पर
मै अपनी बाइक किनारे लगा
कुछ पल यूं ही थम जाऊ
बस हो तो तु वहां और फिर ये जग वीरान हो जाए
तेरे कंधे से वो दुपट्टा आज यूहीं सरकता रहे
तेरी उन जूतियों के उपर वो पायल यूहीं खनकती रहे
तु अपने में खोई हुई हो
फिर में तेरा ख्वाब हो जाऊ
हो बस इश्क सा तु और फिर मै भी तु हो जाऊ
तु इश्क हो मेरा और फिर ये दरिया सा बहने लग जाए
हा तु ही तलाश है मेरी
हा तु ही इश्क सा अहसास है मेरा
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आज जैसे ही वो मेरे समक्ष हुआ
मदहोश हो चला था मै
हवा का वो एक झोंका
उसे छूकर जो आया था-
गुमनाम थी जो शख्सियत आज बेमिसाल कर दी मैंने
उसकी तवजो के लिए हर चीज नीलम के दी मैने
यूं तो आशिक़ी को चंद लाइनो से बयां करते है लोग
जब जिक्र किया उसका तो पूरी किताब लिख दी मैने-
अब इन आंखों में एक नशा और
इक मदहोशी सी छा रही है
वो मेरा हर इक जतन तो छोड़
मेरी रूह भी तुझे बुला रही है-
बरसो से गुमनाम और अधूरी थी जो शक्सियत
आज पहचान मिली है उसको
सुना है तेरी कलम की उस लिखावट
और अल्फाजों में जिक्र हुआ है मेरा-