Ankur Jangid  
64 Followers · 42 Following

Joined 12 May 2019


Joined 12 May 2019
2 DEC 2024 AT 9:16

रामायण महाभारत सिखाता है कि ये महत्वपूर्ण नहीं हैं कि
आपके अपनों ने आपके जीवन का क्या निर्णय लिया
महत्वपूर्ण ये है की उनके लिए फ़ैसले आपने कैसे स्वीकारे
फिर वो माता केकइ के द्वारा राम को वनवास
या फिर माता गॉंधारी के द्वारा कृष्ण को कुल विनाश का श्राप

-


27 NOV 2021 AT 12:48

वो तैरते तैरते भी डूब गए जिन को खुद पर गुमान था
किंतु वो डूबते डूबते भी तर गए जिनपे तू मेहरबान था

-


13 OCT 2021 AT 19:55

Bekar h meri dincharya se phir bhi
hr chiz ka khyal rkhti h wo
Kaya khaya kya na khaya
hr din ek hi swal krti h wo
Dhan se rhiyo aur ha savdan bhi
Aj bhi apne bache ki trh btati h wo
Chla aata hu jb ghr se dur me to
mere lotne ka intzar krti h wo
Khushnuma h din mera
khubsurat ye rat h
Kyu wyat chinta krti h MAA
Teri dua aur tera aashirvad
Pal pal mere sath h

-


6 OCT 2021 AT 6:43

हमने में कहा आज तक तेरी अन रातों की नीद से खेला है
तेरी उस बेहिसाब महोबत को कहा तराजू में तोला है
फासले दूरियां मजबूरियां बहुत हे तेरे मेरे बीच
इन सफर में तू ही नहीं एक तनहा दिल भी अकेला है

-


11 OCT 2020 AT 20:34

उन बेजान गलियों में ये कोई हवा का झोका हैं
आज तेरी इबादत है या फिर से धोखा है

-


28 JUN 2020 AT 22:33

हरे भरे पेड़ो से भरी उस सड़क पर
मै अपनी बाइक किनारे लगा
कुछ पल यूं ही थम जाऊ
बस हो तो तु वहां और फिर ये जग वीरान हो जाए
तेरे कंधे से वो दुपट्टा आज यूहीं सरकता रहे
तेरी उन जूतियों के उपर वो पायल यूहीं खनकती रहे
तु अपने में खोई हुई हो
फिर में तेरा ख्वाब हो जाऊ
हो बस इश्क सा तु और फिर मै भी तु हो जाऊ
तु इश्क हो मेरा और फिर ये दरिया सा बहने लग जाए
हा तु ही तलाश है मेरी
हा तु ही इश्क सा अहसास है मेरा


-


23 MAY 2020 AT 22:57

आज जैसे ही वो मेरे समक्ष हुआ
मदहोश हो चला था मै
हवा का वो एक झोंका
उसे छूकर जो आया था

-


28 APR 2020 AT 23:08

गुमनाम थी जो शख्सियत आज बेमिसाल कर दी मैंने
उसकी तवजो के लिए हर चीज नीलम के दी मैने
यूं तो आशिक़ी को चंद लाइनो से बयां करते है लोग
जब जिक्र किया उसका तो पूरी किताब लिख दी मैने

-


16 APR 2020 AT 23:45

अब इन आंखों में एक नशा और
इक मदहोशी सी छा रही है
वो मेरा हर इक जतन तो छोड़
मेरी रूह भी तुझे बुला रही है

-


18 FEB 2020 AT 21:04

बरसो से गुमनाम और अधूरी थी जो शक्सियत
आज पहचान मिली है उसको
सुना है तेरी कलम की उस लिखावट
और अल्फाजों में जिक्र हुआ है मेरा

-


Fetching Ankur Jangid Quotes