यक़ीनन मिले होंगे उन्हें महबूब अनेक,
लेकिन हमारी आखिरी सांस तक , हमारी मोहब्बत रहेंगे
सिर्फ वो एक।
सिर्फ वो एक।।-
दिल के अल्फाज कहता हूं।
कभी खुश हो जाया करते थे वो सिर्फ़ हमारी मौजूदगी से,
लेकिन हमारी बदकिस्मती तो देखिए जनाब
उन्हें तो अब हमारी आहट से भी तकलीफ होती है।-
उनकी यादें बिखरी पड़ी हैं, हमारे जहन में इधर उधर,
हम उन्हें समेटने भी जाते हैं, तो उनसे आखिरी मुलाकात की याद हमारे कदम पीछे खींच लेती है।-
यक़ीनन भूल गए हैं वो हमें,
नहीं तो सुना था कि खुली आंखों से भी वो सिर्फ हमारे ख्वाब देखते थे।
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साथ तो वो हमारे पहले भी थे, और आज भी हैं,
बस फर्क इतना है, पहले वो हमारी हर बात में थे, और आज सिर्फ हमारी याद में हैं।-
सुना है, बहुत सुकून से रहते हैं, वो हमसे बिछड़ने के बाद,
शायद, हमारी मोहब्बत की कैद उन्हें बहुत तकलीफ देती रही होगी।
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हमारी बदसलूकी तो देखिए जनाब,
पल-पल घटती हुई ज़िंदगी है,
और हम उनका उम्रभर इंतजार करने का ख्वाब देखते फिरते हैं।
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हर किसी को हक नहीं ,हमारी वजह -ए- शायरी बनने का,
पर वो क्या है न,
उनके उस चांद जैसे खुबसूरत चेहरे को देख
हमारी कलम चल पड़ी।-
यकीनन याद तो हमे वो भी करते होंगें,
बस फर्क इतना है, वो अकेलेपन में, और हम उन्हें अपने हर पल में।-
निहार तो हम भी सकते हैं उनके खूबसूरत चेहरे को घंटों,
परन्तु हमारी बदकिस्मती तो देखिए जनाब,
हमारी ये आंखें हमे ये गुस्ताखी करने की
इजाजत ही नहीं देती।-