Ankur Chaurasia   (Ankur chaurasiya)
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एक छोटा सा लेखक.....
Joined 12 May 2024


एक छोटा सा लेखक.....
Joined 12 May 2024
20 JUN 2024 AT 0:08

जैसे तैसे जोड़ तोड़ के
एडमिट कार्ड आ गयो।
दई परीक्षा सुबह शाम
एनटीए ही बाको खा गयो।।
😡😡😡😡😡😡😡😡

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16 JUN 2024 AT 11:51

मेरे सृष्टि के सृष्टिकर्ता
मेरे परमपिता ही हैं।

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13 JUN 2024 AT 12:49

भले ही तुम मुझसे दूर हो,
पर तुम्हारी यादें मेरे साथ हैं।
तुम दिल के एक कोने में रहो
पर तुम्हारा दिल तो मेरे हाथ में हैं।।

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12 JUN 2024 AT 1:28

मुद्दा गरम था साहब
जलकर
अब तो खाक हम गया।
आप कहाँ व्यस्त थे साहब,
चिंगारी पहले तो कम ही थी
पर धीरे - धीरे बढ़ती ही गयी
और जब आए तब सिर्फ राख
हाँ साहब सिर्फ राख ही शेष थी
उजड़ गयी कई जिंदगियां
तबाह हुई कई इमारतें
जिनने अपने श्रम से बनाया
था अपना छोटा सा आसियाना
हाँ साहब सबकुछ खत्म हो गया।
बस साहब अमृत समान राख ही बची है।


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12 JUN 2024 AT 1:11

है साँसों पर किसका जोर
विधाता बता रे मुझे।
है किसके दिलों में चोर
विधाता दिखा रे मुझे।।

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16 MAY 2024 AT 10:57

जबसे तुमको जान लिया है,
बस अपना सा मान लिया है।
तुम जिंदगी भर साथ निभाना,
दोनों यह ठान लिया है।

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16 MAY 2024 AT 10:46

आधे हैं अधूरे हैं हम ,
जैसे भी हैं तेरे हैं हम।

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14 MAY 2024 AT 8:26

मँहगें तोहफे तो नहीं
पर झुमके तो दिला ही सकता हूँ।

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12 MAY 2024 AT 22:58

वैसे तो सबकी अपनी - अपनी माँ होती है।
लेकिन माँ तो सबकी माँ होती है।
मार्ग भले ही दुर्गम हो
कंटीले वनों का पथ हो
श्रीचरणों से सबके मार्गों को प्रशस्त कर देती है
माता तो सबकी माँ होती है।

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