जैसे तैसे जोड़ तोड़ के
एडमिट कार्ड आ गयो।
दई परीक्षा सुबह शाम
एनटीए ही बाको खा गयो।।
😡😡😡😡😡😡😡😡-
भले ही तुम मुझसे दूर हो,
पर तुम्हारी यादें मेरे साथ हैं।
तुम दिल के एक कोने में रहो
पर तुम्हारा दिल तो मेरे हाथ में हैं।।
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मुद्दा गरम था साहब
जलकर
अब तो खाक हम गया।
आप कहाँ व्यस्त थे साहब,
चिंगारी पहले तो कम ही थी
पर धीरे - धीरे बढ़ती ही गयी
और जब आए तब सिर्फ राख
हाँ साहब सिर्फ राख ही शेष थी
उजड़ गयी कई जिंदगियां
तबाह हुई कई इमारतें
जिनने अपने श्रम से बनाया
था अपना छोटा सा आसियाना
हाँ साहब सबकुछ खत्म हो गया।
बस साहब अमृत समान राख ही बची है।
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है साँसों पर किसका जोर
विधाता बता रे मुझे।
है किसके दिलों में चोर
विधाता दिखा रे मुझे।।-
जबसे तुमको जान लिया है,
बस अपना सा मान लिया है।
तुम जिंदगी भर साथ निभाना,
दोनों यह ठान लिया है।
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वैसे तो सबकी अपनी - अपनी माँ होती है।
लेकिन माँ तो सबकी माँ होती है।
मार्ग भले ही दुर्गम हो
कंटीले वनों का पथ हो
श्रीचरणों से सबके मार्गों को प्रशस्त कर देती है
माता तो सबकी माँ होती है।-