Ankur Anand   (Ankur Anand)
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क्या फ़र्क़ पड़ता है
Joined 28 December 2018


क्या फ़र्क़ पड़ता है
Joined 28 December 2018
19 MAY 2022 AT 11:18

जितनी धरती लाल होगी, उतनी बढ़ेगी भूख
किस भूख की चिंता करनी है, ये तुम्हारे हाथ में है?

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29 NOV 2021 AT 18:14

मुझे शब्दों से खेलना पसंद है,
ठीक वैसे
जैसे तुम्हें... मुझसे।

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28 NOV 2021 AT 14:50

पहली आग से दूसरी आग का सफ़र
निंदनीय रहा।

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19 NOV 2021 AT 23:09

मोह :

अगर तुम्हें लगता है
के मोह के बंधन से तुम पूर्णतः मुक्त हो
तो मैं तुम्हें बता दूँ,
के तुम एक ऐसे समुंदर में हो,
जिसकी गहराई का तुम्हें अंदाजा भी नहीं।

मोह है, तो ही तुम्हारा अस्तित्व है,
तुम मोह से हो और मोह तुमसे।

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17 NOV 2021 AT 0:01

पहले ही ख़त में उन्होंने
अलविदा लिख दिया था,
अब, अगले ख़त वाली कहानी का
हिस्सा नहीं बनना।

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16 NOV 2021 AT 10:57

मुझे नहीं पता, तुम खूबसूरत हो या नहीं
मैंने बस तुम्हारी तस्वीर देखी है।

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16 NOV 2021 AT 0:47

अब, हर अच्छी चीज़
महँगी और मशहूर हो
ये जरूरी नहीं,
मुझे ही देख लो।

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15 NOV 2021 AT 11:54

(चिट्ठियां)


मैं कहाँ जाकर
कब, किसे छू आता हूँ
ये मुझे भी नहीं पता।
बस बाद में चिट्ठियां आती है
और उनमें होता है ज़िक्र
मेरे गुजरने का।

मैं पूछना तो चाहता हूँ
के, बारीक बिखरे लफ़्ज़ों में
कोई जवाब कैसे ढूँढ सकता है
बरसों से पड़े सवालों का।
पर किस पते पर खुद के सवाल भेजूं,
चिट्ठियों में केवल ज़िक्र है
मेरे गुजरने का।

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7 NOV 2021 AT 9:38

I tried my best
To keep the nest
I built, long ago.

Chants and screams
Pastry with beans
Roasted ribs, in the name of The Holy Sin.

Scratching heads, peeling nails
Did syllables form a lie?

Nothing new, very few
Produced, before you
The Holy cry.

And you bought, you bought
And you still buy.
The portions of my nest,
No more shine.

Yet, I Try I try
To keep the nest
I built, long ago.



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8 MAR 2021 AT 9:52

और
बाँहों में ज़माना समेटे,
.
.
.
.
अर्सा हो गया ।

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