जितनी धरती लाल होगी, उतनी बढ़ेगी भूख
किस भूख की चिंता करनी है, ये तुम्हारे हाथ में है?
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मोह :
अगर तुम्हें लगता है
के मोह के बंधन से तुम पूर्णतः मुक्त हो
तो मैं तुम्हें बता दूँ,
के तुम एक ऐसे समुंदर में हो,
जिसकी गहराई का तुम्हें अंदाजा भी नहीं।
मोह है, तो ही तुम्हारा अस्तित्व है,
तुम मोह से हो और मोह तुमसे।-
पहले ही ख़त में उन्होंने
अलविदा लिख दिया था,
अब, अगले ख़त वाली कहानी का
हिस्सा नहीं बनना।
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मुझे नहीं पता, तुम खूबसूरत हो या नहीं
मैंने बस तुम्हारी तस्वीर देखी है।
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(चिट्ठियां)
मैं कहाँ जाकर
कब, किसे छू आता हूँ
ये मुझे भी नहीं पता।
बस बाद में चिट्ठियां आती है
और उनमें होता है ज़िक्र
मेरे गुजरने का।
मैं पूछना तो चाहता हूँ
के, बारीक बिखरे लफ़्ज़ों में
कोई जवाब कैसे ढूँढ सकता है
बरसों से पड़े सवालों का।
पर किस पते पर खुद के सवाल भेजूं,
चिट्ठियों में केवल ज़िक्र है
मेरे गुजरने का।-
I tried my best
To keep the nest
I built, long ago.
Chants and screams
Pastry with beans
Roasted ribs, in the name of The Holy Sin.
Scratching heads, peeling nails
Did syllables form a lie?
Nothing new, very few
Produced, before you
The Holy cry.
And you bought, you bought
And you still buy.
The portions of my nest,
No more shine.
Yet, I Try I try
To keep the nest
I built, long ago.
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