गुंजाइश थोड़ी रह गई थी शायद हमारी ही कहानी में,
कोई गैर आया, हमे अपनी दस्ता लिख कर चला गया।-
1st August 🎂
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इतना अफसोस क्यू ही करना यारो
जो होगा अपनी किस्मत में,
उसका मिलना तय होगा यारो।
चलो जियो मन मुताबिक
जो चाहो उसको हासिल कर लो।
कल पे ना छोड़ो कुछ भी,
आज का जी भर कर लुफ्त उठा लो यारो।
क्या रक्खा हैं रोने धोने में
गम को भी हंसकर अपनाओ यारो।।-
थोड़ा बहुत आज भी संभाल कर रखे हैं उनके यादों को हम,
वो लौट कर नहीं आए कभी, जिनके लिए हम सबसे ज्यादा कीमती थे।
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ऐसे कैसे हो गया ?
मैंने तुम्हें याद भी नहीं किया,
तुम्हें इल्म भी पड़ गया।-
तो आज गुफ्तगू कर लू
तुझसे हर मर्ज की आज दवा मैं ले लूं
बैठू करीब तेरे, दिल का तेरा हाल सुनू ।
तेरे मन में क्या है मेरे लिए यह आज मैं जान लूं,
थोड़ा वक्त मिल जाए अगर तो सारी जिंदगी का सुख उन पलों में उतार लूं।
तेरी चाहतों के लिए अपनी खुशियां भी न्योछावर कर दू।
मिल जाए वक्त जरा सा तो, तो मैं भी अपने दिल का हाल कह दू।-
आज एक इरादा किया है
मुश्किलें हजार आएंगे पर तेरा साथ ना छोड़ेंगे
वक्त बदल जाए पर तेरा हाथ ना छोड़ेंगे
हां मैंने एक वादा किया है,हर एक वादे के पहले आखरी दम तक निभाएंगे उस वादे को बाकी वादों के पहले
गम में तू है, तो खुशियों में तू जरूर होगा
तेरे उतार-चढ़ाव में मेरा साथ हमेशा होगा
तू चाहे या ना चाहे मुझे अपने साथ पाएगा
हां मैंने एक वादा किया है हर वादे के पहले
तेरा साथ ना छोड़ेंगे ख़ुद से एक इरादा किया है।-
कुछ रिश्ते के नाम नहीं होते क्योंकि उनको नाम देकर परिभाषित करना थोड़ा मुश्किल होता हैं। मैं जीवनसाथी, दोस्त या फिर रक्त संबंधित किसी भी रिश्ते की बात नहीं कर रहीं, ये कहना जायज होगा या नहीं पर कुछ ऐसे भी संबंध होते हैं हमारे जीवन में, जिनसे कोई आशा या अपेक्षाएं नहीं होती पर ये सब हमारी जरूरतों पे साथ निभा जाते या बिना मदद की गुहार लगाए भी आकर आपकी कठिनाई दूर कर जाते हैं। ये जरूरी नहीं की ये आपके जानने वालों में से ही हों कभी कभी ये अजनबी होते हैं, और इक क्षण मात्र में आपके बेहद करीब हो जाते है।
जब कभी हमारे साथ ऐसा होता है और हम उनका शुक्रिया अदा करने में भी हिचकिचाहट में रहते हैं। शायद हम इस नैतिक दुबिधा में होते हैं कि क्या वास्तविकता में लोग इतने सच्चे और अच्छे होते है या ये यह भी अच्छा बनने का एक प्रदर्शन मात्र है।
मैंने अपने बड़े बुजुर्गों को हमेशा कहते सुना है कि आप अगर दूसरो के साथ अच्छा करते हैं तो आपके साथ भी अच्छा ही होगा, ये शायद इसलिए कहा जाता है कि आप अपने मतलब के लिए ही सही,पर दूसरों की मदद अवश्य करें, ताकि लोगो में इंसानियत पर भरोसा कायम रहें।-
समय जैसे जैसे बीतता हैं हमें सही, गलत और लोगों के पहचान करने में हमारी सहायता करता हैं।वक्त कुछ सही करे या ना करे,पर गलत तजुर्बों में सही सलाह तो दे ही जाता हैं।
कभी कभी प्रतीत होता हैं की सबकुछ हमारे परिस्थिति के प्रतिकूल हैं पर वास्तविकता में समय गुजरते गुजरते यह एहसास होता हैं की सबकुछ तो सही हुआ हैं भले ही उस वक्त कुछ देर के लिए सबकुछ उधल पुथल हुआ हो।
"समय की खूबसूरती यहीं हैं कि ये पता नहीं चलने देता की आपका वक्त कब आया और कब निकल गया"
जीवन की इस चक्रधारा में वक्त की कीमत ये हैं कि ये अपनो में से गैरों की पहचान करा देता है और परायों में से कोई अपना बना देता।
मुझे लगता है वक्त पे अपने वक्त की भी पहचान कर पाना भी मनुष्यो में इक कला हैं वरना गुजर जाने के बाद तो हम सभी अफसोस करते ही है।
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जेहन में चुभ गई यह छोटी सी बात,
उसने मुस्कुराकर कहा था,
ना तुम दिल में हो ना ही दिमाग में।।-
ये ऋतु, ये मौसम,ये दिन,ये रात,ये पल और ये हर छन
वो बारिश,वो मुलाकात, वो यादें,वो सपने और वो जज़्बात,
अब तेरे जैसे ही, इनमे भी कोई बात ना रह गई।।-