ankita srivastava   (श्रीवास्तव अंकिता)
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Joined 2 October 2018


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30 NOV 2024 AT 11:06

वो करता है सवालात मुझसे

कैसे कटते हैं दिन रात तेरे
बस एक तिहाई नींद,आँधी घड़ी के ख़्वाब मेरे

शाम ओ शहर की होती ही नहीं कोई खबर
मुझ पर ही फ़िदा हुए सारे ग़म मेरे

मैं राही नया नया था ,सफ़र ऐ आशिक़ी मे
कच्चे मकानों में थे पक्के ख़्वाब मेरे

- continue…..

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17 NOV 2024 AT 19:15


ये क्या है कि आती नहीं है नींद मुझकौ….
कोई इश्क़ नाम लेता था तो मैं हँसता था पहले॥

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11 OCT 2024 AT 21:08

प्रेम में छली गई स्त्री का पाषाण हो जाना …एक भयावह क्रिया है॥

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3 JUL 2024 AT 9:20

वो कर गया है दीवाना मुझको
वो जो एक रोज़ मिलाएगा ख़ाक मे मुझको

मैं समझ रहा था मुहब्बत का अफ़साना जिसको
उसने सुना वो अफ़साना फिर कहा पागल मुझको

वैसे तो सबकुछ है घर में ,बाग है बहार है
पर उस एक शख्स की कमी ने कर दिया है वीरान मुझको

मैं तो ढूँढता था बहाना कोई , कहीं मिल जाये मुझे वो
फिर ये भी चाहता हूँ मिले ना वो शख्स दुबारा मुझको ॥

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29 JUN 2024 AT 15:26

वो बातें जो ना कही गई , ना सुनी गई
कितने बरसों तक सिसकती होगी किसी बन्द सन्दूक में॥

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29 JUN 2024 AT 15:24

मैं उसके ख़िलाफ़ गवाही ना दे पाऊँगा,
वो पहले महबूब है मेरा, बाद में गुनाहगार ॥

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29 JUN 2024 AT 15:21

ये और बात है कि तुम प्रेम कर सकते हो….लेकिन कोई तुमसे ही प्रेम करे ये बाध्यता अत्यधिक मुश्किल है॥

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29 JUN 2024 AT 11:46

उसको पसन्द थे सुन्दर फ़ुल ,
सो मैं छाँटा गया काँटों की तरह॥

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29 JUN 2024 AT 11:42

मेरा दुख अलग है….ये बात कहते हुए मुझे याद आ गया मैंने कहा था कभी वो शख़्स जमाने से अलग है॥

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29 JUN 2024 AT 11:40

ये दुख और है के, मनपसंद शख़्स से मन की पीड़ा नहीं कही जा सकती॥

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