अधूरा_पन्ना
मैं शांत अडिग पहाड़ सा, वो चंचल नदिया जैसी
यूं किनारे से हो गुजरती है, मैं ताकता मूक दर्शी...
मैं अल्हड़ विरल बादल सा, वो शीत कुमुदनी की
कभी ढाकुं जो अपने तले, कभी घुल जाती कभी बरसी...
कुछ बूंदे उस दिन भी बरसी थीं, वो भीग गई थी बारिश में
गीले बाल जो उसका काजल छू रहे थे, मैं चिढ़ सा गया अनजाने में
अरे नहीं मिटाना नहीं, मुझे निहार तो लेने दो वो कारीगरी
वो ऑंखें ही तो ले बीती, वरना ऐसे मैं पिघलता नहीं...
मयखाने तो गया नहीं
फ़िर ये मेहेक सी क्या आ रही
अब नशा करूंं तो कहना नहीं
तू मदिरा सी, और मैं?
मैं शराबी सही!-
Don't relate my musings with my life.. I write fiction and some life re... read more
और कोई हिसाब करोगे
तो खाता बही लिख भेजना
हमे भी आगे रस्ते में
पुराना बोझ नहीं ढोना!!
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//सीख//
भूल जाते हैं ये लोग अपना किया धरा
खुद को रोशनी में दिखता है कि नहीं
पर,
रास्ता दिखाने जरूर चले आते हैं!!
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That feeling when someone make you believe like they want you but end up rejecting you, and where you in between let them hold all over you.
#Devastated-
महफ़ूज़ हैं वो लोग दीवारें बनाकर
मेरी तो नींव ही कमज़ोर निकली
कुछ ने दरारें ज़रूर छोड़ दी हैं
हर ख़बर रखने को!-
Part of me dies
every time
I fail in love.
Do you know
how much of ME
is left in me ?
Oh thanks!!
you killed the last part too.
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"You keep choosing be around the people who make you feel disgust and judge your appearance. But you take for granted those who value you thus feel your presence.
And that's where you pay off."
Can't deny 😁
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The unsorted smile i wear on
Don't tell me 'that' story my eyes hold upon 😅
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