Ankita Singh Chauhan   (अंकिता सिंह चौहान)
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तुम और कविताएँ बस यही काफी हैं।।
Joined 11 March 2019


तुम और कविताएँ बस यही काफी हैं।।
Joined 11 March 2019
18 DEC 2023 AT 1:32

कविता सा जीवन ✍️
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अगर रुक सको उम्रभर तो चलना मेरे साथ,
हम ठहरे हुए पहाड़ों पर बहती हवा के साथ रहेगें।

सूरज की धूप से उजियारा लेंगे,
चाँदनी रातों से कुछ तारे समेटेंगे।

जुगनुओं से चमकती रात में, कुछ पहर बैठकर,
हम वक्त वे वक्त की कुछ बातें करेंगे।
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(पूरी कविता अनुशीर्षक में पढ़े।)

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9 OCT 2023 AT 1:26

शीर्षक: तुम्हारी तरह ✍️
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किस्से बनते रहेंगे, कविताएं लिखती रहेंगी।
पर तुम रहना मेरे साथ, उनमें लिखे खूबसूरत शब्दों की तरह।।
मनाना मुझे एक प्रेमी की तरह।
बिगड़ना मुझ पर एक प्रेमी की तरह।
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(संपूर्ण कविता अनुशीर्षक में पढ़ें।।)

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30 SEP 2022 AT 0:39

छोटे शहरों के रास्ते छोटे सही पर सफर लंबे रहे।
बड़े शहरों में कब उम्र बीत गयी पता ही नहीं चला।।

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27 SEP 2022 AT 1:13

#कविता लिखने वाली लड़की ...✍

अपनी हर कविता मे कुछ पूरी,
और कुछ अधूरी कहानी लिखती हूँ।।
कहीं खुद को एक आज़ाद पंछी,
तो कहीं पीजरें में कैद एक खूबसूरत जवानी लिखती हूँ।
कभी ख्वाबों को तरसती आँखे लिखती हूँ,
तो कभी अपने ख्वाबों मे जीती रवानी भी लिखती हूँ।।
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(पूरी कविता अनुशीर्षक में पढ़े!)

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5 AUG 2022 AT 23:16

कैद को खबर भी नहीं की,
कितनी घुटन है उसकी पनाहों में।
और आजादी को गुरूर है,
की.. लाखों हैं उसकी राहों में।।

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6 JUN 2022 AT 1:46

ख्वाब जो हकीकत नहीं बन पाते,
अक्सर बहुत खूबसूरत होते हैं।।

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30 APR 2022 AT 23:52

असफल/सफल लड़के✍
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वो बच्चे अक्सर अद्रश्य हो जाते हैं,
जो जिम्मेदारियां लेकर घर से निकल जाते हैं।।
उनका घर पर होना या ना होना बराबर होता है,
जब किसी कारणवश वो असफल घर लौट आते हैं।।
फिर वो घर पर तो रहते हैं, पर कभी गिने नहीं जाते।।

और अगर कामयाब होकर लौटें, घर का गौरव बन जाते हैं,
हर कमरे कि तस्वीर बन जाते हैं, पिता की पहचान बन जाते हैं।।
सबकी नज़रों में रहते हैं, तारीफों में शुमार हो जाते हैं,
ये वो लड़के होते हैं, जो सफल होकर घर आते हैं।।

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21 APR 2022 AT 13:09

......

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22 MAR 2022 AT 13:28

इंसान विलुप्त होता है, तब उसकी कविताएँ जन्म लेती हैं,
ऐसा हर बार नहीं होता, पर हाँ ऐसा होता है।।

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11 MAR 2022 AT 23:29

तुम भावनाओं का समुंदर लेते आना,
मैं कविताओं सी रच जाउंगी तुम मे।।

कई खूबसूरत अल्फाज बन कर,
ताउम्र के लिये बिखर जाऊंगी तुम मे।।

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