न तेरे आने का अंदेशा था ना ही तुझको महादेव से मांगा था
ना ही तेरे सपने संजोए थे ना ही तेरी राह तकी थी
अनजान थी तेरे आने की खबर से.....
खबर मिलते ही अनगिनत ख्यालों ने मन में दस्तक दी
तेरा आना महादेव की इच्छा....
उलझनों में खोई वक्त बीता और जब तुझे करीब अपने पाया...
सच उस दिन महादेव से रिश्ता और मजबूत पाया
अनजान थी राह पर साथ लिए तुझे चल पड़ी
देखते ही देखते आज इक साल पंख लगाकर जैसे उड़ चला
जादू, खुशियों की चाभी, सबकी लाडली मेरी बेटी....
तेरे अनगिनत नाम....पर मेरे लिए सिर्फ मेरे जीने की वजह
आभार महादेव.....मेरे हिस्से दुनिया की सबसे बड़ी खुशी देने के लिए....
मेरे लाडो का जीवन खुशियों से भर मेरे जीवन को पूर्ण अर्थ देने के लिए🧿-
तू मुझको भरते भरते खुद को खाली कर लेती हैं क्या
तू लिखते लिखते मेरी किस्मत खुद को जाली कर लेती हैं क्या
क्यों तुझे मेरा हर फटा ख्वाब सीना हैं
क्यों तुझे अपना हर सपना मेरे अश्क से जीना हैं 🥹-
इक बार तुझे मैं भी खत लिखना चाहती हूं
तेरे सारे गुनाहों की खातिर एक अदालत खोलना चाहती हूं
वो इश्क़ वो वादे, वो राहें वो हर बार तुझे निहारती निगाहे
तेरी आंखों में ढूंढती वो हर बार मेरी राहें
तू सुन तो सही, मैं फिर तुझसे इक और बार मिलना चाहती हूं🥺-
काश ये सब संभल जाए
तू और तेरा किया अब बदल जाए
मैं फिर तेरा इंतजार करू,
तुझे देखने को छत पे फिरू,
तू जो गुज़रे मेरी गली,
हम दोनों के नैना इक दूजे से मिले
काश वो पल वही ठहर जाए.....-
की हकीकत में ख्यालों में हो तुम.....या
यूं ही बस ख़्याल आया😑-
तेरे सवालों का अब क्या मै जवाब दूं
जी तो करता है मैं भी तुझे कुछ सवाल दूं
जो तू ना बता सके ना ही सुलझा सके
मेरी ही तरह....
काश में भी तुझे इक ऐसी ही उलझन में डाल दूं.....-
बातें बेवजह
यादें बेजुबान
देना तो चाहती हूं तेरे हर सवाल का जवाब
पर ये होठ खामोश है क्योंकी
मर्यादाएं है बेहिसाब......-
तुमने मोहब्बत का जरिया अपनाया
हमने दोस्ती का नजरिया सुझाया
ज़िद दोनों की अपने रिश्तों के दायरों का
इसलिए हमने तुझको अब इस दोस्ती से आज़ाद कराया....-
सुनो......कुछ कहना चाहती हूं.....
मेरे भी कुछ अरमान है,
हां माना की इस नए रिश्ते से तुम भी अंजान हो
वो जो अनजाने में टकरा जाते हो
कभी जान बूझ कर भी करीब आओ ना
और जो हर बात को साबित करते हो
कभी यूं ही मेरी बेतुकेपन पे भी खिल खिलाओ ना.....-
इक बार फिर मुझे तन्हा छोड़ गए तुम
राहों की उड़ती धूल में बेबस निहारती रही
पर इक बार फिर वापस मुड़े बिना ही चले गए तुम💔-