थोड़ा दूर हो तुम, थोड़ा दूर हैं हम. किस्मत के हाथों कितना मजबूर हैं हम. पास आ कर बैठो और ये दूरी मिटा दो. लगाओ गले से और मुझे मुझसे मिला दो. ये ख़्वाब है या हक़ीक़त बस इतना बता दो. तुम आओ सिरहाने और मुझे नींद से जगा दो. तुम्हारे साथ ही सबसे ज्यादा महफूज़ हैं हम. पर क्या करें, थोड़ा दूर हो तुम थोड़ा दूर हैं हम.
टूटे से कुछ ख्वाब, आंखों में भी सैलाब खाली खाली से दिन रात, हर पल दिलाती है तेरी याद अनसुना सा एक राज, दिल में छुपी एक जज़्बात सुनी-सुनी सी एक राह, हर पल दिलाती तेरी याद अधुरी सी एक चाह, अनदेखा कोई घाव रुठी-रुठी सी कोई आस, हर पल दिलाती है तेरी याद
इश्क की कोई उम्र नहीं होती, ना ही दौर होता है, इश्क तो इश्क है जब होता है बेहिसाब होता है, चाहे कितनी भी हो दूरी पर वो दिल के पास होता है, मिलने की कोई उम्मीद नहीं होती, फिर भी मिलने का इंतजार होता है।
तेरी मोहब्बत ने हमें बदनाम कर के, हमें हर ख़ुशी से अनजान कर दिया...! हमने तो कभी नहीं चाहा हमें मोहब्बत हो, लेकिन उनकी पहली नजर ने हमें नीलाम कर दिया!!