हमारी हँसी किसी कि जागीर नहीं,,जो कोई, उसे हमसे छीन ले।। -
हमारी हँसी किसी कि जागीर नहीं,,जो कोई, उसे हमसे छीन ले।।
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ये कसूर भी हमारा ही था।। -
ये कसूर भी हमारा ही था।।
अब जब आईना देखती हूँ तो थोड़ा थम जाती हूँ।मानो तेरे आस पास होने का वजूद साथ साथ ही है।।। -
अब जब आईना देखती हूँ तो थोड़ा थम जाती हूँ।मानो तेरे आस पास होने का वजूद साथ साथ ही है।।।
अब बस उसके लिये सजती और संवरती हूँ।यू तो मुझे कोई शोक नही काजल लगाने का।लेकिन अब ये शोक भी करती हूँ।। -
अब बस उसके लिये सजती और संवरती हूँ।यू तो मुझे कोई शोक नही काजल लगाने का।लेकिन अब ये शोक भी करती हूँ।।
वो कहता है अक्सर मुझसे !मै तेरी जुल्फे की तो तारीफे करता हूँ हजार,पर तू अपनी शायरी मे मेरी मूंछो का जिक्र तक नही किया करती। -
वो कहता है अक्सर मुझसे !मै तेरी जुल्फे की तो तारीफे करता हूँ हजार,पर तू अपनी शायरी मे मेरी मूंछो का जिक्र तक नही किया करती।
तुम्हे अपना बनाने की कोशिश कुछ इस तरह नयाव रखेंगे।तरीका हर बार बदलेंगे पर नियत वही साफ रखेंगे।। -
तुम्हे अपना बनाने की कोशिश कुछ इस तरह नयाव रखेंगे।तरीका हर बार बदलेंगे पर नियत वही साफ रखेंगे।।
Main Jo din ko kahu raat wo iqraar kre Main chaheta hu koi mujhe Youn bhi pyar kre ~maaz_167~ -
Main Jo din ko kahu raat wo iqraar kre Main chaheta hu koi mujhe Youn bhi pyar kre ~maaz_167~
कुछ इस कदर अहसास बनके मेरे साथ हो हर पल।मेरी रात है तुमसे और तुम ही मेरी सुबह।।~maaz~ -
कुछ इस कदर अहसास बनके मेरे साथ हो हर पल।मेरी रात है तुमसे और तुम ही मेरी सुबह।।~maaz~
वो उस बूढ़े शख्स को देखकर सहम जाती है कुछ इस कदर।जो अपनी हवसी भरी निगाहों से तार-तार करता है जिस्म उसका। -
वो उस बूढ़े शख्स को देखकर सहम जाती है कुछ इस कदर।जो अपनी हवसी भरी निगाहों से तार-तार करता है जिस्म उसका।
फिर डूब सकूं तेरी उन आँखों मेंवो सुहानी शाम कहा से लाऊ।। -
फिर डूब सकूं तेरी उन आँखों मेंवो सुहानी शाम कहा से लाऊ।।