Ankita Gupta  
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Joined 1 May 2017


Joined 1 May 2017
1 MAY 2017 AT 11:10

Forgive others so that u can forgive yourself

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15 AUG 2021 AT 20:06

अपना चेहरा भी खो चुकी हूं मैं
खुद तक से बेगानी हो चुकी हूं मैं
खूबसूरती,जवानी,जिंदगानी को भूल
सबसे अनजानी हो चुकी हूं मैं।

एक शहर था आबाद सा
उसमें एक लड़की थी मासूम सी
वो शहर जल गया है,उसी शहर की
एक बिसरी कहानी हो चुकी हूं मैं

मुझे जानता हो,अब ऐसा कोई नहीं है
कोई मेरी बात करे ऐसा कोई नहीं है
पुरानी बातों की तपिश बहुत है मुझमें
एक जलती चिता सी शमशानी हो चुकी हूं मैं।

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12 AUG 2021 AT 22:55

रिश्ते~विश्ते,नाते~वादे मैंने...देखे बहुत हैं,
तुम जैसे कमजर्फ~कमीने...देखे बहुत हैं,
नहीं हूं हैरान तुम्हारी किसी जहालत पे,
तुम जैसे जाहिल मैंने...देखे बहुत हैं।

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8 AUG 2021 AT 14:26

बात करने को कुछ नहीं है
पर कहने को बहुत है
तुमसे नाराज़ नहीं
पर तुमने दिल दुखाया बहुत है
मुस्कुराहटें तो छीन ही ली,
रातों में तुमने रुलाया बहुत है।

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1 JUL 2021 AT 22:06

सच्ची बातों में भी कहां दम होता है
जिसकी जेब में पैसा ज़रा कम होता है
उसकी नेकियों पे भी जमाना नाराज़ रहता है
जिसका आंचल आंसुओं से नम होता है

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10 JUN 2021 AT 15:41

दे मुझे सहालियत दुआ की सिखा
कर दे मुझे मेरे गुनाहों से रिहा

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20 APR 2021 AT 23:45

जिस बालक को त्यागा मां ने
उसे कहां किसी ने पाला है
वो कहां किसी का चांद बनेगा?
कौन उसे चुपाने वाला है?
वो जाए जहां भी जाता हो
भूखा रहे कि खाता हो
कहां उससे किसी को मतलब है
ना सोए या जागता रह जाता हो
वो रहे बुरी किसी संगत में
या अकेला चलने वाला हो
कहां उसको नसीब नई कमीज होली की
वो उतरन से काम चलाता हो
कहां उसको मां की डांट का डर
वो तो झिड़की सुनने वाला हो
कहां उससे झूठ को मां रूठेगी
वो तो सबको मक्खन लगाता हो
लाड़,प्यार,दुलार कहां जाने उसका सूखा मन
वो सबको देख के खुश हो जाता हो!
वो कहां किसी का चांद बनेगा?
कौन उसको चुपाने वाला हो!


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20 APR 2021 AT 20:35

आग लगाकर सीने में
मैंने रिश्ते अपने सींचे हैं
थे भारी बोझ से अहम के
फिर भी आगे खींचे हैं
देखा है मैंने ना का चेहरा
ये बहुत जाना पहचाना है
दे के हर रिश्ते को हां का तोहफा
एक दिन मैंने मर जाना है

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18 APR 2021 AT 16:24

तुम रहना मेरे साथ हमेशा
एक खुशनुमा याद बनकर।

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26 MAR 2021 AT 20:29

आसान हैं रास्ते बहुत से,
पर हम तो मुश्किल ही चुनेंगे,
चलती होंगी हवाएं मद्धम दुनिया में
हम तो तूफानों से लड़ेंगे
होगी बहुतों की चाहत हमें गिरता देखने की
हम तो सदा ही लड़ते रहेंगे,गिरते रहेंगे उठेंगे,
और उठते ही रहेंगे।

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