कसक, ठंडी आह, ख़लिस, चुभन
आज मुझे पता है इन सारे शब्दों का, ना सिर्फ अर्थ,
मगर ये भी मालूम है कि इनके विलोम ढूंँढ पाना है अब व्यर्थ ।
मैं पहले शायरा बनी, या एक असफल प्रेमिका
या शायद प्रेमिका से एक सफल शायरा
जो मुझे चाहिए वो तो क्षितिज के उस पार है,
और मैं कैद उस गोल ज़मीन पर, घटता जा रहा जिसका दायरा ।
आपको मेरी लिखी बातें आधी समझ आती होंगी,
मगर मैं खुद को समझने में हूंँ पूर्ण असमर्थ ।
दर्द, अफसोस, उदासी, रंज,
आज मुझे पता है इन सारे शब्दों का, ना सिर्फ अर्थ,
मगर ये भी मालूम है कि इनके विलोम ढूंढ पाना है अब व्यर्थ ।
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