Ankit Yadav   (©अनकही)
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Respect your self respect.
Joined 5 December 2020


Respect your self respect.
Joined 5 December 2020
16 JUN 2021 AT 22:12

तू दौड़

तेरे सपनों का मचान
तेरे होंसलों की उड़ान
रंग लाएगी मेहनत तेरी
तू दौड़......


हँस रहा ये जहांन
जीवन जंग का मैदान
जीत जाएगी हसरत तेरी
तू दौड़......

बनते वही महान
नही छोड़ते जो मैदान
लिख जाएगी किस्मत तेरी
तू दौड़.....

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6 JUN 2021 AT 14:32

एक गांव था

एक गांव था
पेड़ों में हरियाली थी, जीवन मे खुशहाली थी
पैसों का कोई मोल ना था, रिश्तों का कोई तोल ना था
एक गांव था

एक गांव था
सुख दुख के सब साथी थे,अंधे के हाथों की लाठी थे
प्रेम में किसी के पोल ना था,प्रीत के भावों में झोल ना था
एक गांव था

एक गांव था
कहने को वहां फिर विकास हुआ,लेकिन सब सत्यानाश हुआ
बाग बगिया सब कटने लगे,पशु पक्षी सब घटने लगे
एक गांव था

एक गांव था
अमीर गरीब में भेद हुआ, विश्वास की नाव में छेद हुआ
ईर्ष्या के शूल जब पनपने लगे,नजरों में सब अब खटकने लगे
एक गांव था

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6 JUN 2021 AT 10:50

बहुत है

खमोश हो गया हूँ पर
बोलने को लबों पर लफ्ज़ बहुत हैं
ठुकराया गया हूं पर
मुझे चाहने वाले शख्स बहुत हैं

हार गया हूँ तुमसे पर
राज करने के लिए तख्त बहुत हैं
उजड़ा भले हो शहर मेरा पर
आशियाना बनाने को दरख़्त *बहुत हैं

मुस्कुराता देखो तुम मुझे पर
हालात मेरे भी सख्त बहुत हैं
कहानी मेरी है "अनकही" पर
सुनने वाले ख़ब्त**बहुत हैं

दरख़्त- पेड़
खब्त- पागल

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4 JUN 2021 AT 18:39


जीवन


दुखी हृदय व्यथित अंतर्मन
भावनाओं में बंधा ये जीवन
श्वासों की माला को जपता
पल पल घटता है ये जीवन

मीरा का प्रेमरस भरा भजन
मुरलीधर की मुरली सा ये जीवन
किसी का खोना या हो मिलन
प्रेम की आशा का ये जीवन

हार की घृणा विजय को नमन
उलझन में बढ़ता है ये जीवन
आशा और निराशा का मिलन
कटु मधुर सा है ये जीवन

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16 APR 2021 AT 22:17

जिंदगी


खुली खिड़की,
ठंडी हवा,
डूबता सूरज,
उठती लहरें,
उनका ख्याल
और एक चाय......


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16 APR 2021 AT 22:06

कुछ वक्त मिला दो शब्द लिखे
कुछ खुशियां लिखी कुछ अश्क़ लिखे
कोशिशों की फेरहिस्त लंबी थी
पर जीत के भी कुछ लफ्ज़ लिखे।




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7 DEC 2020 AT 19:28


देवी

जब शक्ति है वो नौ रूपों की
फिर उसका ये अपमान क्यों??
जब जननी है वो सपूतों की
फिर खतरे में उसकी जान क्यों??

जब मूरत है वो ममता की
फिर उससे यूँ अनजान क्यों??
जब राखी है वो रेशम की
फिर लुटती उसकी आन क्यों??

जब है वो माँ बाप की बेटी
फिर घर में ही मेहमान क्यों??
जब है वो स्वयं जीवन का स्रोत
फिर गर्भ में ही बलिदान क्यों??



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5 DEC 2020 AT 18:44

खेतों में जो पानी लगाते सर्दी की रातों में।
उन देवों को रोक लिया है तानाशाह की सरकारों ने।। बंजर पर भी हरियाली का सोना जिसने उपजाया।
ऐसे वीर किसानों को आज सरकारों ने ठुकराया।।

गौ माता पर वोट लिया तो गौपालक का सम्मान करो।
सत्ता के मद में चूर होकर ना उनका अपमान करो।।
भिखारी नही किसान है वो अपना हक ले जाएगा।
पूंजीवाद की लंबी कारों को वो हलधर सबक सिखाएगा।।

बड़े बड़े सेठों के यहां तुम बहुत घूमने जाते हो।
कभी बैठो किसान के खेतों में जो इतना प्रेम जताते हो।।
क्यों ये षडयंत्र है किसान को गरीब बनाने का।
धरती पुत्र को हक़ है तुम्हे अपनी बात सुनाने का।।

कीमत उन्हें पूरी मिले और खेतों में हरियाली हो।
अर्थ से वो सम्पन्न रहे औऱ जीवन में खुशहाली हो।।
हाथ जोड़कर विनती है कोई ऐसा कानून बन जाये।
मेरे देश का अन्नदाता कभी सड़कों पर फिर न आये।।

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21 APR 2021 AT 13:19

हम लड़के हैं तो क्या है,
हर बात खुल के बता देते हैं,
दिल मे जो भी है जता देते हैं,
आवारा कह कर यूं ना बदनाम करो हमें,
हम तो बेवफाओं से भी दिल लगा लेते हैं।

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17 DEC 2020 AT 19:29

हौंसला

किरदार सबके अपने हैं
निभाने का हौसला रखो।
जीवन के कुछ सपने हैं
उन्हें पाने का हौसला रखो।

जानता हूँ कि जेबें खाली है
मुस्कुराने का हौसला रखो।
माना के रातें काली है
सुबह आने का हौसला रखो।

जीवन है तो अड़चनें हैं
पार पाने का हौसला रखो।
माना के आंखें नम है
गुनगुनाने का हौसला रखो।



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