एक गांव था
एक गांव था
पेड़ों में हरियाली थी, जीवन मे खुशहाली थी
पैसों का कोई मोल ना था, रिश्तों का कोई तोल ना था
एक गांव था
एक गांव था
सुख दुख के सब साथी थे,अंधे के हाथों की लाठी थे
प्रेम में किसी के पोल ना था,प्रीत के भावों में झोल ना था
एक गांव था
एक गांव था
कहने को वहां फिर विकास हुआ,लेकिन सब सत्यानाश हुआ
बाग बगिया सब कटने लगे,पशु पक्षी सब घटने लगे
एक गांव था
एक गांव था
अमीर गरीब में भेद हुआ, विश्वास की नाव में छेद हुआ
ईर्ष्या के शूल जब पनपने लगे,नजरों में सब अब खटकने लगे
एक गांव था
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