लेके सेवा में तेरी, सजी पूजा की थाली,
तेरे चरणों में आया मेरी माँ।
सजे फूल हैं हजारा, दुःख मिट गया सारा,
तेरे चरणों को निहारुं मीठी माँ।
हाथ जोड़ के ध्याऊं, गीत श्रद्धा से गाऊं,
पल-पल पलके निहारुं, तेरी आरती उतारुं मेरी माँ।
हाथ ताली बजाते, मन तेरे गुण ध्यावे,
तेरी ज्योत जगावूं भोली माँ।
स्नेह-ममता लुटावे, सबकी बिगड़ी संवारे,
दुःख अब न सतावे, छवी तेरी जो मनावे मेरी माँ।
मैं दुनिया से हारा, तेरे चरणों में आया,
मुझे दे दे सहारा भोली माँ।
ओ माँ प्यारी माँ।-
नैनों की बतियां तुम नैनों से कर लेना,
हम कुछ न कहेंगे तुम सांसों को पड़ लेना।
करते हैं बातें यूं तो गैरों से खूब,
आप मेरे मौन को समझ लेना।
मोहब्बत में लोग क्या नहीं किया करते?
बात हो जब बिन बात के आप जज्बात समझ लेना।
इश्क में किया हर सितम हमे मंजूर है,
बशर्ते हमारे दरमियां कोई और न हो।
वक्त गुजरता साथ मे कुछ ऐसे है
जैसे मुठ्ठी में कैद रेत हो।
ताज्जुब है यादों संग गुजारना है कुछ ऐसा
जैसे पिघलती मोम सी सांझ फंसी हो दशको से कहीं।-
डाली पर बैठी वो कोयल, यूं ही न राग सुनाती है,
गा गाकर वो अपनी चेतना को, सुर की हद तक ले जाती है।
राग द्वेष का भरकर कागा, नभ सै छलांग लगाता है।
इसी कलह में रहकर वो, इकदिन यूं ही मर जाता है।
अगर ठेस मन में रखकर आगे बढ़ते जाओगे,
लौटकर बुद्धू मेरे प्यारे, घर कैसे तुम आओगे?
सम्मान - अना के खेल में इक दिन सबसे बिछड़ ही जाना है!
बाकी जो बचेगा उसमें पछतावा रह जाना है।
गलती करो तो मांगो माफी, मर्यादा का कहना है -
न करो छमा उसको तुम जो नीयत का बस गंदा है।
रहा जीवन जो संग तुम्हारे गीत नये गुनगुनाएंगे,
जो रहा कलह के बीच सदा तो आंसूं ही रह जाएंगे।
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कैसे बीतेंगी ये रातें, बीतता एक पल नहीं है।
बुझती नहीं हैं सांसें, सांसों में जो आग लगी है।
मुद्दतों से एक रात चल रही है,
लगता है लेकिन यह कि तू मेरे साथ चल रही है।
ढूंढता हूं वो लम्हा जो साथ तेरे बीता,
बीता हो वो लम्हा तो ये बात नयी हो।
घर अगर आते तो क्या कुछ न कहते,
आए नहीं तो क्या तुम, जा भी तो न सकोगे।
तय किया था तुमसे न बात अब करेंगे,
आएगी बात जब तो क्या बात न करेंगे?-
दहकती सांसों में अपनी तुम जल जाने दो,
नज़रों से दिल में समाँ जाने दो,
कहती है जो दुनिया उसे कह जाने दो,
दो घड़ी तो वज़ूद में उतर जाने दो,
कुछ सांसें मिली हैं जीने के लिए,
वक्त की सुईयां इन्हीं में अटक जाने दो,
संभाली गयी किससे ये जिन्दगी भला हो?
सागर यह मय का छलक जाने दो।-
कुछ ज़हर सी थी उसकी हंसी,
कुछ नब्ज मेरी कम थी,
कुछ फ़ारिख था मैं भी दुनिया से,
कुछ ज़हनी उसकी कमी थी।
भले बात होती थी हममे,
पर दुनिया को शूल सी गड़ी थी।
हलक में थी बात जो,
हस्र से छुपी नहीं,
बात थी जो दिल में बस,
नज़रों से ही कही गयी।-
कह गयी हमसे वो शमा जलते - जलते,
यादों में मुझको तू सजाए रखना,
जब कभी छाए अंधियारा जीवन में,
मेरी लौ को तू दिल में तब जलाए रखना।
हवा कह रही बहते हुए यह,
न तू कभी कोई बंधन बांध रखना,
छूना गगन हो तो याद रखना,
कभी न तू कोई वजन बांध रखना।
नीर जो छलका सरिता से वह,
मुझको यह कहता हुआ सरिता में जा मिलता,
न उद्गम को अपने तू झुठलाना,
न साथी को अपने तू बिसराना।
कहती है धरती सुनो तुम जो हौले,
जीवन के पथ को दरसा रही है,
खुद की ही छमता को वो आजमा रही है,
तराशो तो खुद को समझा रही है।-
तन्हाइयों की बांहों में तेरी यादों का फूल खिल जाता है,
महकता है जीवन, सांसों में रम जाता है,
रमि सांसों से फिर बातों में झलकाता है,
झलकता बातों में, साथी बन जाता है,
साथी बन वह सबकुछ भुलाता है,
सबकुछ भुलाकर भी, यादों मे रह जाता है,
यादों में रहकर सन्नाटा कर जाता है,
सन्नाटे में फिर तेरी गूंज सा समा जाता है,
रह - रह कर ये हमको सताता है,
तन्हाइयों की बांहों में तेरी यादों का फूल खिल जाता है।-
न बनते तुम अंधेरे वक्त में उजाला,
उजाले में साथ तो देते!
न कहते प्यार से कुछ,
गुस्से में दाँट ही देते!
रखते न कलेजा खंजर पर,
लड़खड़ाए थे हम, हाथ तो देते!
न करते मोहब्बत उम्र भर,
दोस्ती का ख्वाब तो देते!-
कुछ कह रहीं हैं मेरी ये आंखें,
तुम सुन सको तो तुम्हें यें बतलाएं।
चहक उठती हैं ये नज़रें,
कहो तो गीत कोई सुनाएं।
यूं तो बेवजह धड़कता है दिल,
देखे तुम्हें तो थम जाए।
महक उठती हैं ये सांसें,
सांसों तेरी जो मिल जाए।-