एक याद है जो बहुत याद आती है,
तन्हाईयों में वो अक्सर साथ निभाती है,
आंखों को नम और होठों पर मुस्कान दे जाती है,
एक याद है जो बहुत याद आती है।-
रात की तन्हाइयां भी अजीब होती है ना,
वो सारे लम्हें हमे याद आते है जिसे हम भूलना चाहते है।-
कोई ये नही बताता,
वो दौर कब आएगा,
जब सुबह की नई धूप होगी,
आंखों में एक चमक होगी,
कुछ करने का सुकून होगा,
कुछ पाने का जुनून होगा,
अपने सब पास होंगे,
परायों के भी हम खास होंगे,
आलीशान महल में तस्वीर होगी,
माथे पर एक लकीर होगी,
कर्मो का सब खेल होगा,
पुरानो से भी मेल होगा,
वक्त नया इतिहास लिखेगा,
हर पन्ने पर अपना नाम छपेगा,
वो दौर बड़ा हसीन होगा,
वो वक़्त भी रंगीन होगा।-
कहाँ हो तुम,
मेरे ख्यालो में हो ?
या मेरे सवालो में हो?
या दूर कही पर्वत किनारों में हो?
उन दरारों में हो या मेरे ही विचारो मे हो?
या जगह जगह ढूंढो ऐसी बंजारो में हो?
कहाँ हो तुम?-
रूह के रिश्ते खास होते है,
ये मुलाक़ातों के न मोहताज होते है,
जहाँ सवालो का न दिवार होता है,
ना मन में कोई खटास होता है।
बेबाक जिनकी बातें होती है,
हर बात की अपनी कहानी होती है,
बिन बताये भी जान लेते है,
औरो से पहले पहचान लेते है।
खास रिश्तों का सफर छोटा होता है,
जाना तो दूर होता है पर वक्त थोड़ा होता है,
अनजान भी बन जाते है सांस,
ये रूह के रिश्ते होते है खास।-
तुम आये तो थे,
पर तब देर हो चुकी थी।
तुम निभाए तो थे,
पर तब सवेर हो चुकी थी।-
अंधेरो के नगर में, सपनो के शहर में
उजालो के भवर में, बीच शहर में,
जीवन का हर एक तमाशा देखा।
सर्द हवाओं में ठंडी राहो में,
चलते मुसाफिर की बोझिल बाहों में,
उम्मीदों का एक सितारा देखा।
मन के सफ़र में, अपनो के डगर में,
सरहदों के उस पार, मन के द्वार
एक सपनों का पिटारा देखा
रात के आंखों में अपने नाम का
छोटा सा एक तारा दिखा।-
मन भटकता है मन चहकता है,
मन के बहकावे में मत आना।
जिंदगी में धूप है तो छाँव भी है,
मन के दिखावे में मत आना।
ये दुनियां बड़ी जटिल है,
मन के छलावे में मत आना।-
रिश्ता तब कमजोर हो जाता है
जब उस रिश्ते को बचाने के लिए
गैरों की सहायता लेनी पड़ती है
तब इंसान को समझ लेना चाहिए
अब ये रिश्ता एक बोझ सिवा और कुछ नही है।-