Ankit Singh Rathore   (Ankit Singh Rathore)
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बस ज़ज्बात को शब्दों में पिरोया है 🙂♥️
Joined 16 September 2018


बस ज़ज्बात को शब्दों में पिरोया है 🙂♥️
Joined 16 September 2018
23 NOV 2021 AT 8:03

ख़ुशनसीब समझता था कि तुझे पाया,
खो कर तुझे बदनसीब हो गया मैं ,
पहले तेरा अजीज हुआ करता था,
आज भीड़ सा अजीब हो गया मैं,
खुशी कुछ पल की मिली जिंदगी की उलझन में,
या यूं कहूँ कि ग़म के अब करीब हो गया मैं,
तेरे लिए खुशी खरीदने का ख़ुद से वादा करते थे,
तेरे जाने के बाद इरादों से गरीब हो गया मैं.

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5 NOV 2021 AT 11:06

पहले लाल तेल की मालिश अब माथे पर vicks मल देती है,
दर्द चाहे सिर,पैर का हो या दिल का माँ सब सही कर देती है,
Serials के बीच खाना नहीं देगी और भूखा सोने भी नहीं देती है,
सताये मुझे ग़म तो वो मुश्किल से लड़ लेती है मुझे रोने नहीं देती है,
मुझे लाख नीचा दिखाता रहे ये ज़माना पर वो आसमाँ दिखा के मुझे मेरे पर देती है,
मुझमे उड़ने की चाह डाल कर माँ सब सही कर देती है..
वो मेरे काश पर भी विश्वास करती है
मैं जीतूँगा हर कदम पे मुझे इक आस देती है,
She deserves a better son सबसे बोलता हूं सिवाय उसके,
क्यूंकि वो मुझे राजा बेटा बोल कर भी दो चाटेऺ धर देती है,
Low feel करूं तो दुलार करके माँ सब सही कर देती है..

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5 NOV 2021 AT 10:55

अब क्या ही करे शिकवे तुमसे, मेरा अजीज ख्याल तुम हो
मैं जवाबों का आदी था अनसुलझा सवाल तुम हो ,
यूँ तो साल बिता दिए एक सुकून के पल को पाने के लिए ,
मिसाल भी बना कुछ के लिए, पर मेरे लिए बेमिसाल तुम हो
तुम्हारे जाने से लगा बे-दिल सा हो गया हूं आजकल,
मेरी बात भी में तुम थी और धड़कन की ताल तुम हो ,
अब भी इंतजार करता हूं तुम्हें पाने की कोशिश करते करते
मेरे इस जीवन के बीते कुछ बेमिसाल साल तुम हो.

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5 NOV 2021 AT 10:48

तुम रेत सी छूट गयी मेरी लकीरों से
मैं अपना बनाने की नाकाम कोशिश करता रहा,
तुम्हें पा तो लिया था कुछ लम्हे के लिए
कहीं खो न दूं सदा डरता रहा,
कमीं मुझमे थी या हालात हक मे ना थे
अनजान हूं अभी तक मैं,
तू फ़िर से मिलेगी सफ़र के किसी मोड़ पर
यही उम्मीद लिए दिल चलता रहा...

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10 OCT 2021 AT 11:55

तुझे खोने का ग़म भी है,
पाया था तुझे ख़ुशनसीब भी हूँ मैं
रास्ते अलग हुए तो हमसफ़र ना रहे,
पर तेरे करीब भी हूँ मैं,
ख़ुद से ही दोतरफा बातें कर लेता हूं,
थोड़ा अजीब भी हूँ मैं
फिर से मिलेगे सफर पर साथ चलने को,
आख़िर तेरा नसीब भी हूँ मैं...

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12 APR 2021 AT 13:40

मुझे उसके अलावा कहीं दिल लगाना नहीं था
फिर भी वो मुझे पाने को तैयार नहीं ,
मुझे थी चाहत मंजिल के आगे भी साथ चलने की
पर उसे मेरे कदमों पे ऐतबार नहीं,
मैं देता रहा मौके जैसे किस्मत हूं अजीज सी,
वो मुझे तोड़ने में चूकी एक बार नहीं,
मैं दूर होके भी वफा दिखाता रहा उसके लिए
कल उसने कबूला, अब उसको मुझसे प्यार नहीं|

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12 APR 2021 AT 1:58

तुम अपना ग़ुरूर रख लो
हम तुम्हारे लिए मुहब्बत रख लेगे,
ख़ुदा तो बेशक नहीं हो तुम
फ़िर भी तुम्हारी इबादत रख लेगे,
कभी टूटना तो आना वापस
पलट कर हमारे पास फिर से
तुम तोड़ना फिर से हमे और
हम टूटने की इजाजत रख लेगे|

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12 APR 2021 AT 1:52

अर्से बाद भी दिल से उसकी तस्वीर मिटानी नहीं आती,
बिना उसके जिक्र के मेरी ये मुकम्मल कहानी नहीं आती,
वो खुद मुहब्बत शुरू कर कहती हैं, ना करो मुझसे उम्मीद मुहब्बत की
और मैं हँस के कहता हूं मुझे प्यार करने में बेईमानी नहीं आती|

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25 DEC 2020 AT 10:57

बस रूदन करूं,ना कर्म करूं,क्या रूदन ही करना काफी है?
मैं हूं कायर सा वीर भले ही,विजय अभी मेरी बाकी है,
आघात करूं खुद के तन पर,छवि बना दी रक्त-नयन पर,
ध्वनि में मैंने हुंकार भरी,अब कलम ही मेरा साथी है.

भविष्य है फल मेरे वर्तमान का वर्तमान में मैं काम करूं,
कुछ करें कामना मेरी हार की उनकी कामना नाकाम करूं,
इतिहास हो जो अब फर्क़ नहीं बस इस क्षण व्यर्थ न काम करूं,
जब तक न जी लूं मैं स्वप्न अपना,इक क्षण भी न विश्राम करूं..

कल करता था,कल करूंगा भी,आज भी जारी है प्रयास निरंतर,
पुरखों से ही तो सुना है मैंने,बूंद-बूंद जुड़ बने समंदर,
हर पड़ाव पे स्वीकार हार,सीख लगती जिसको ये हार
होता वो ही सशस्त्र सिकंदर,
मेरे लिए तो मेरा मित्र कलम, मेरा शस्त्र यही, यही है खंजर,
धारण कर लूं ग़र एक बार
विपदा भी कहे मुझे कलम-सिकंदर...

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23 SEP 2020 AT 8:43

थोड़ा ख़ुद को मैं मार ही दूं
जब साथ जीना चाहा लोग कदर नहीं करते,
मैं लफ़्ज़ों से घाव भी दूँगा
आँखों मे छुपे ज़ज्बात यहां असर नहीं करते,
मैं ख़ुद को मशहूर बना लूं
मुझे आम समझ के ये ज़िकर नहीं करते,
चलो लोगों को ठेस पहुंचा दूँ
जब मैं चोट खाया तो ये फ़िकर नहीं करते |

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